दुर्गा माता के नव स्वरूप (दूसरा स्वरूप)

ब्रह्म का अर्थ अनंत, ब्रह्मांड (चेतना) है और चारीणी का अर्थ आचरण में लाना है मतलब जिन्होंने ब्रह्म की प्राप्ति की है। यह स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय स्वरूप है।

श्री देवी सूक्तम स्त्रोत में एक पंक्ति है, जो ब्रह्मचारीणी स्वरूप की झलक दे जाती है।

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

अर्थात्

जो देवी सबमें चेतना (चैतन्य) कहलाती है उनको हम नमस्कार, नमस्कार और निरंतर नमस्कार कर रहे है।

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