
नेकी के बदले नेकी चाहोगे,
मान – सम्मान चाहोगे,
आदर्श बनने का ख़िताब चाहोगे,
तब तक मन बैचेन ही रहेगा।
पर जिस दिन इस विचारधारा को अपना लोगे,
“नेकी करो और दरिया में डालो”
तब सही मायने में दिल को सुकूँन मिलेगा,
निष्काम कर्म से ही दिल को सुकूँन मिलेगा।
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