गुरु पूर्णिमा

आप सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं|

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गुरु का महत्व- संस्कृत श्लोक (पहला भाग)

गुरु के लिए नया नज़रिया दर्शाती हुई कविता! (दूसरा भाग)

भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु (तीसरा भाग)

ગુરુ પૂર્ણિમા નિમિત્તે વિશેષ ગઝલ (गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विशेष ग़ज़ल)

દત્તાત્રેય ગુરુની આરતી – સંસ્કૃત શબ્દોનું ગુજરાતીમાં અનુવાદ

ગુરુ એ જ આધાર

દત્તાત્રેય ગુરુની આરતી – સંસ્કૃત શબ્દોનું ગુજરાતીમાં અનુવાદ

જય જય જય ગુરુદેવ!
વંદે અત્રિકુમારં ત્રિભુવનભર્તારમ્
જનિમૃતિસંસૃતિકાલં તાપત્રયહારમ્.

અર્થઃ

ગુરુદેવની જય હો,
અત્રિના પુત્ર દત્તાત્રેયજીને વંદન, જે ત્રણે લોકના સ્વામી છે.
દત્તાત્રેય પ્રભુ લોકોનું મૃત્યુ, સંસાર કાળ અને તકલીફો બધુ જ દૂર કરી દે છે.

કરુણાપારાવારં યોગિજનાધારમ્
કૃતભવજલનિધિપારં ષડદર્શનસારમ્.

અર્થઃ

દત્તાત્રેય ગુરુ કરુણાના સાગર છે અને યોગિજનોના આધાર છે.
દત્તાત્રેય પ્રભુએ સંસારની તથા સમુદ્રની ઉત્પતિ કરી છે, દત્તાત્રેય પ્રભુ ષડદર્શનનો સાર છે.

ભોગાપવર્ગદ્વારં કૃતમોદાસારમ્
નતજનવરદાતારં નિગમાગમસારમ્.

અર્થઃ

દત્તાત્રેય પ્રભુ ભુક્તિમુક્તિ આપનાર છે, જે આનંદનો (સત- ચિત્ત્ – આનંદ) સાર છે.
નમ્ર ભકતોને વરદાન આપી તેમનો ઉધ્ધાર કરે છે, દત્તાત્રેય ગુરુ વેદ–શાસ્ત્રોના સાર છે.

ધૃતગલમૌક્તિકહારં કીર્ણજટાભારમ્
ધામ્ના નિર્જિતમારં ષડરિપુસંહારમ્.

અર્થઃ

ગળામાં અને હાથમાં મોતીની માળા (હાર) છે, જેમણે મસ્તક પર જટાઓ ધારણ કરેલી છે.
જેમના તેજથી કામદેવ પણ પરાજિત થાય છે, દત્તાત્રેય ગુરુ ૬ આંતરિક શત્રુઓનો સંહાર કરે છે. [ષડરિપુ- કામ, ક્રોધ, મદ, મત્સર (ઇર્ષ્યા), મોહ, લોભ]

દુઃશીલાતિકરાલં ભસ્માંકિતભાલમ્
શંખત્રિશૂલભાજન સ્ત્રગ્વાધારિકરમ્.

અર્થઃ

દત્તાત્રેય ગુરુ બૂરા (ખરાબ સ્વભાવ) ઈરાદા વાળા માટે ભયાનક- વિકરાળ રુપ પણ ધારણ કરી શકે છે, કપાળ પર ભસ્મ ધારણ કરેલ છે.
તેમના હાથમાં શંખ, ત્રિશુલ, કમંડળ, માળા, ડમરુ, ચક્ર સુશોભિત છે.

કલિકલ્મ્ષહન્તારં સુરનરમુનિતારમ્
વૃતવિજનૈકવિહારં જ્ઞાપ્તિસુધાહારમ્.

અર્થઃ

દત્તાત્રેય ગુરુ કળિયુગના પાપ હરી લેનાર છે. દેવતાઓ, સાધુઓ અને સંસારીજનોને તારી લેનાર છે.
દત્તાત્રેય પ્રભુએ અનેક વાર સ્વૈચ્છિક રીતે વન-વિહાર કરેલ છે, તેમનો આહાર જ્ઞાનરુપી અમૃત છે.

દેવત્રયાવતારં શાંતિસુધાગારમ્
દૂરીકૃતનતભારં રંગારંગકરમ્.

અર્થઃ

ત્રણ દેવોનો (ત્રિદેવ) અવતાર છે. શાંતિરુપી અમૃત જેમનો આવાસ છે.
શરણે આવેલા ભક્તોનું દુઃખ દુર કરે છે, દત્તાત્રેય પ્રભુના અલગ-અલગ રુપો છે.

હનુમાન ભગવાનના ૧૨ નામ અને અર્થ (हनुमान भगवान के १२ नाम और अर्थ)

હનુમાનજી:-

  • જેમણે ભારતીય મહાકાવ્ય રામાયણમાં સૌથી મહત્વપૂર્ણ ભૂમિકા ભજવેલી છે.
  • જે શિવ ભગવાનનો અવતાર છે અને શ્રીરામના પરમ સેવક અને ભક્ત છે.
  • જે તાકાત અને બુદ્ધિના સાગર છે.
  • જે અષ્ટ સિદ્ધિ અને નવ નિધિના દાતા છે.
  • જે દરેક યુગમાં હાજરાહજૂર છે, અમર છે.

૧) હનુમાનજી – જેમના જડબા તુટેલા છે

હનુમાનજીના જડબા (સંસ્કૃતમાં હનુ) ઈન્દ્રના પ્રહારથી તૂટી ગયા હતા, તેથી તેમને હનુમાનનું નામ આપવામાં આવ્યું હતું.

૨) અંજની પુત્ર – અંજની માતાના પુત્ર

૩) વાયુ પુત્ર – વાયુ દેવના પુત્ર

૪) મહાબલી – એકદમ બળવાન, સમુદ્ર પાર કરી શકનાર, હાથ પર પહાડ ઉપાડી શકનાર

૫) રામેષ્ઠ – શ્રીરામ જેમના ઈષ્ટ છે અથવા શ્રીરામને જે પ્રિય છે

૬) ફાલ્ગુન સખા – અર્જુનના મિત્ર

અર્જુનનો જન્મ ઉત્તર-ફાલગુની નક્ષત્રમાં થયો છે, તેથી તેને ફાલગુન કહેવામાં આવે છે.

૭) પિંગાક્ષ – જેમના નેત્રો પિંગળા (ભૂરા) રંગના છે તે

૮) અમિત વિક્રમ – મહાન પરાક્રમી

૯) ઉદધિક્રમણ – સમુદ્રને ઓળંગી જનારા

૧૦) સીતા શોક વિનાશન – સીતાજીના શોકનો નાશ કરનારા

૧૧) લક્ષ્મણ પ્રાણદાતા – લક્ષ્મણજીને સંજીવની લાવી જીવનદાન દેનારા

૧૨) દશગ્રીવ દર્પહા – રાવણના ઘમંડનો નાશ કરનારા

हिन्दी भाषा में अनुवाद :

हनुमानजी:-

  • जिनकी भारतीय महाकव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • जो शिव भगवान के अवतार है और श्रीराम के परम सेवक और भक्त है।
  • जो बल और बुद्धि के सागर है।
  • जो अष्ट सिद्धि और नव निधि के दाता है।
  • जो हर युग में अमर है।

१) हनुमानजी – टूटे (घाव लगे) जबड़े वाले।

इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्ढी (जबड़ा) ( संस्कृत में हनु) टूट गई थी, इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया।

२) अंजनी पुत्र – अंजनी माता के पुत्र

३) वायु पुत्र – पवन देव के पुत्र

४) महाबली – एकदम बलवान, समुद्र पार करने वाले, हाथ से पहाड़ उठाने वाले

५) रामेष्ट – रामजी के प्रिय

६) फाल्गुन सखा – अर्जुन के मित्र

अर्जुन का जन्म उत्तर- फाल्गुनी नक्षत्र में हुआ है, इसलिये उनको फाल्गुन कहते है।

७) पिंगाक्ष – भूरे नेत्र वाले

८) अमित विक्रम – वीरता की साक्षात मूर्ति

९) उदधिक्रमण – समुद्र को लांघने वाले

१०) सीता शोक विनाशन – सीताजी के शोक को नाश करने वाले

११) लक्ष्मण प्राणदाता – लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले

१२) दशग्रीव दर्पहा – रावण के धमंड को चूर करने वाले


द्बादशनाम स्तोत्र (संकटमोचनी स्तुति) (हनुमानजी की बहुत छोटी स्तुति)

श्री हनुमत् पंचरत्नंस्तोत्र

#वसंत पंचमी #सरस्वती द्वादश नामावली अर्थ सहित (सरस्वती देवी के १२ नाम)

वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती।
तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसवाहिनी।।

पंचमं जगतीख्याता षष्ठं वागीश्वरी तथा।
कौमारी सप्तमं प्रोक्ता अष्ठमं ब्रह्मचारिणी।।

नवमं बुद्धिदात्री च दशमं वरदायिनी।
एकादशं चंद्कांति द्वादशं भुवनेश्वरी।।

ब्राह्या: द्वादश नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्तर:।
जिह्वाग्रे वसते नित्यं ब्रह्मारूपा सरस्वती।।

१२ नाम के अर्थ:

१) भारती – वाणी की देवी

२) सरस्वती – ज्ञान की देवी

३) शारदा देवी – सभी शिक्षा की देवी

४) हंसवाहिनी – जिनका वाहन हंस है

५) जगतीख्याता – दुनिया को प्रसिद्धि देनेवाली देवी

६) वागीश्वरी – वाणी की रानी होना जैसे ( जिह्वा पे सरस्वती का होना)

७) कौमारी – कुवारिका का स्वरूप

८) ब्रह्मचारिणी – देवी जिसने ब्रह्म की प्राप्ति की है

९) बुद्धिदात्री –  आध्यात्मिक बुद्धि देनेवाली देवी

१०) वरदायिनी – वरदान देने वाली देवी

११) चंद्कांति – चंद्र की चमक जैसी चमक वाली, ज्ञान के तेज से ओतप्रोत आभा वाली

१२) भुवनेश्वरी – एसी देवी जो सर्वोच्च देवी है

जो भी कोई यह नामावली का त्रिसंध्या पठन करेगा, उस के जिह्वा पर ब्रह्मारूपा सरस्वती का सदा वास होगा।

हमारी शक्ति का स्रोत [संस्कृत श्लोक- (5)]

जब हम दुनियादारी की स्वार्थ वृति से टूट जाए, तब हमें यह श्लोक निस्वार्थ वृति को फैलाने की शक्ति देता है। हमें कभी अकेला महसूस नहीं होने देगा, गर विश्वास है तो ईश्वर हमारे साथ ही है क्योंकि वह हमारे भीतर ही है, हमें ही भीतर देखना है।

यह श्लोक का अर्थ हम सभी को पता है, पर क्या गहराई में महसूस किया है? गर गहराई से महसूस किया होता तो कभी खुद को अकेले नहीं पाते। अक्सर एसा होता है कि जब अपने कहलाते लोगों से हमारा दिल टूटता है, धोखा मिलता है, हमारे साथ भेदभाव होता है तो हम जीवन में निराश होकर अकेलापन महसूस करते है, रिश्तों पर से हमारा भरोसा टूट जाता है, तभी यह श्लोक हमारी शक्ति और हमारी प्रेरणा बन सकता है।

श्लोक:

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविड़म त्वमेव, त्वमेव सर्वम् मम् देव देव ||

अर्थात्:

हे देव, आप ही मेरी माता हो, आप ही मेरे पिता हो, आप ही सगे-संबंधी या भाई हो, आप ही मित्र हो।

आप ही विधा हो, आप ही धन (समृद्धि) हो, मेरा सबकुछ आप ही हो।

अन्य संस्कृत श्लोक:

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित- (1) / Sanskrit quotes with meaning

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित- (2) / SANSKRIT QUOTES WITH MEANING

#संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (3) #एकमत होना # विवाद से मुक्त #कर्तव्य पालन

#संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (4) #नवरात्रि #दुर्गा #सिद्धीदात्री

उपनिषद वचन

“अन्नं ब्रह्म।”

यह वचन उपनिषद में है, जिसका सीधा सीधा शाब्दिक अनुवाद करें तो एसा होगा कि भोजन ब्रह्म है। [अंग्रेजी में फुड इज गोड( Food is God)]

पर इतने महत वचनों के सीधे सीधे शाब्दिक अनुवाद नहीं होते, एसे वचनों को समझना पड़ता है, गहराई के भाव को जानना पड़ता है।

“अन्नं ब्रह्म” का मतलब है कि स्वाद भी लोगे तो परमात्मा का ही लोगे और तो कोई हैं नहीं। परमात्मा से प्रीति का स्वाद ही सबकुछ है।

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संस्कृत गीत (जीवन का गीत)

संस्कृत गीत का हिंदी में भाषांतर भी दिया हुआ है।

गीत के रचनाकार स्व. पद्मश्री डॉ. श्रीधर भास्कर वर्णेकर जी है।

गीत:

मनसा सततं स्मरणीयम्
वचसा सततं वदनीयम्
लोकहितं मम करणीयम् ॥ लोकहितं॥

न भोगभवने रमणीयम्
न च सुखशयने शयनीयनम्
अहर्निशं जागरणीयम्
लोकहितं मम करणीयम् ॥ मनसा॥

न जातु दु:खं गणनीयम्
न च निजसौख्यं मननीयम्
कार्यक्षेत्रे त्वरणीयम्
लोकहितं मम करणीयम् ॥ मनसा॥

दु:खसागरे तरणीयम्
कष्टपर्वते चरणीयम्
विपत्तिविपिने भ्रमणीयम्
लोकहितं मम करणीयम् ॥ मनसा॥

गहनारण्ये घनान्धकारे
बन्धुजना ये स्थिता गह्वरे
तत्रा मया संचरणीयम्
लोकहितं मम करणीयम् ॥ मनसा॥

हिंदी में भाषांतर:

हमें हमेशा स्मरण रहे,
हम हमेशा अपनी वाणी से बोलते रहे,
कि हमारा कर्तव्य लोगों का हित करना है और मानवता के प्रति है।

हम भौतिक सुखों पर ध्यान केंद्रित न करें
न ही भोग विलास की गोद में‌ बैठे रहें,
हमें हमेशा जागृत रहना है,
कि हमारा कर्तव्य लोगों का हित करना है और मानवता के प्रति है।

हम अपने दुखों पर ही ध्यान न दे,
न ही लगातार हमारी खुशीयों पर ध्यान दे,
हमें अपने कर्तव्य पालन के लिए कदम उठाने चाहिए,
हमारा कर्तव्य लोगों का हित करना है और मानवता के प्रति है।

हम दुःख के महासागरों को पार कर ले,
हम कठिनाई के पहाड़ों को माप ले,
विपत्तियों से गुजरते हुए भी,
हमारा कर्तव्य लोगों का हित करना है और मानवता के प्रति है।

घनघोर अंधकार में घिरे हुए हो,
या मित्रो और परिजनों के द्वारा दिये गये दुःख से घिरे हुए हो,
जब कभी हम एसे रास्तों पर होते है,
तब भी हमारा कर्तव्य लोगों का हित करना है और मानवता के प्रति है।

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#श्री कृष्ण श्लोक #माधव #Shri Krishna shloka #Madhav

मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिं।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानंद माधवम्।।

भावार्थ:

श्री कृष्ण की कृपा से जो गूंगे होते है वो भी बोलने लगते हैं, जो लंगड़े होते है वो पहाड़ों को भी पार कर लेते हैं। उन परम आनंद स्वरूप माधव की मैं वंदना करती हूं।

Translation in English:

Mukam karoti vaacaalam pangum langayate girim,
Yatkrupa tamham vande paramanand madhavam.

Meaning of Shloka:

By whose grace, dumbs start speak, lame men climb mountains, I worship that Shri Krishna (Madhav), the supreme bliss.