तुम सुर बनकर आए,
तो मेरे जीवन का ख़ूबसूरत तराना बन गया।
तुम राग बनकर आए,
तो मेरे जीवन का ख़ूबसूरत साज़ बन गया।
तुम गीत हो, मैं तुम्हारे शब्द हूँ
कुछ एसा ही प्यारा रिश्ता है हमारा।
हमारे रिश्ते से जीवन का नया अर्थ मिला,
जीवन की धुन को नया संगीत मिला।
तुम सुर बनकर आए,
तो मेरे जीवन का ख़ूबसूरत तराना बन गया।
तुम राग बनकर आए,
तो मेरे जीवन का ख़ूबसूरत साज़ बन गया।
तुम गीत हो, मैं तुम्हारे शब्द हूँ
कुछ एसा ही प्यारा रिश्ता है हमारा।
हमारे रिश्ते से जीवन का नया अर्थ मिला,
जीवन की धुन को नया संगीत मिला।
यह रिश्ता ही कुछ ऐसा है,
जिसमें लेने से ज़्यादा,
देने में मज़ा मिलता है।
यह एक रिश्ता पति-पत्नी का है।
जिसमें प्यार की कली खिली हो,
जिसमें प्यार की महक उठी हो।
बस प्यार ही प्यार बेशुमार हो,
यह एक रिश्ता पति-पत्नी का है।
जैसे बाती बिना दीया अधूरा,
वैसे पत्नी बिना पति अधूरा!
जैसे चांदनी बिना रात अधूरी,
वैसे पति बिना पत्नी अधूरी!
एक गाड़ी के दो पैये जैसे ये,
चल सके न कोई एक के बिन।
चले जब दोनों साथ,
रोक सके न कोई।
यह एक रिश्ता ही कुछ ऐसा है,
जो दुनिया को चलाता है।
जिसमे एक का अस्तित्व,
दूसरे के होने से ही है।
एक परिंदा हूँ,
जीवन गगन में, आज़ाद हूँ।
पहले पिंजरे में केद थी,
अपनी खुशियों के लिए,
दूसरों पर आश्रित थी।
पहले पिंजरे में केद थी,
अपने जीवन के विकास के लिए,
दूसरों पर आश्रित थी।
अब खुद पर एतबार है,
खुद के दम पर, मेहनत करके,
जीवन को उमंग से जीना है।
एक परिंदा हूँ,
जीवन गगन में, आज़ाद हूँ।
चलते रहिए, चलते रहिए
सारी उलझनों के साथ,
चलते रहिए।
करते रहिए, करते रहिए
अपने कार्य (कर्तव्य) करते रहिए।
चलते रहिए।
उलझनें तो जीवन का हिस्सा है,
उलझनों के साथ चलना,
सीखते रहिए।
उलझनें तो जीवन में अवसर है,
हमारी प्रगति का अवसर,
चलते रहिए।
रुकिए मत, रुकिए मत
गर उलझनों का सैलाब भी आ जाए,
चलते रहिए।
चलते चलते, धीरे धीरे
सारी उलझन, सुलझन में बदल जाएगी।
चलते रहिए।
आत्म-नियंत्रण का एक दीया,
अपने अंतर में, जलाकर रखिए,
ताकि कभी भी दुनिया के प्रलोभन,
हमारे अंतर्मन में, अंधेरा न कर पाए।
धैर्य का एक दीया,
अपने अंतर में, जलाकर रखिए,
ताकि सपनों को पाने की इच्छाएं,
ज़ल्दबाज़ी में परिवर्तित न हो जाए।
मन पर नियंत्रण का एक दीया,
अपने अंतर में, जलाकर रखिए,
ताकि दूसरों की बातों से,
हमारा मन भटक न जाए।
खुद पर विश्वास का एक दीया,
अपने अंतर में, जलाकर रखिए,
ताकि दूसरों की दोहरी मानसिकता से,
हमारा विश्वास डगमगा न जाए।
अपनी सकारात्मक ऊर्जा का एक दीया,
अपने अंतर में, जलाकर रखिए,
ताकि दूसरों का नकारात्मक रवैया,
हमारे अंतर्मन में, अंधेरा न कर पाए।
तुने राह चुन ही ली है,
तो राह पर चलने में,
संदेह क्यों करता है?
मन में विश्वास जगा दे,
मन से डगमगाना क्यों?
राह ढूंढने में मेहनत की है,
तो राह पर चलने की मेहनत से,
घबराहट क्यों महसूस करता है?
मन में विश्वास जगा दे,
मन से डगमगाना क्यों?
मन को बुलंदकर,
डर को हराकर,
राह पर आगे क्यों नहीं बढ़ता है?
मन में विश्वास जगा दे,
मन से डगमगाना क्यों?
हैरानी से पूछा करते हैं कुछ लोग मुझे,
तुम हमेशा मुस्कान लिए ही फिरते रहते हो,
उदास नहीं होते क्या कभी?
तो मैंने मुस्कुराते हुए ही बोला।
हूजूर उदास तो हम भी होते है।
ज़माने ने हमें भी रुलाया है।
पर हमने रोता हुआ दिल
और होठो पर मुस्कान,
ये दोनों एक साथ पेश करने का,
हुनर पा लिया।
सब तो मुस्कान ही देखते हैं
और उसकी चमक में खो जाते है।
बस एक-दो गिने-चुने शक्स हैं,
जो रोता हुआ दिल भी देख लेते है।
दिल,
मेरा नया आशियाना!
जिसमें मैं रहने लगी हूँ।
पहले दिल से बहुत दूर थी,
जब अपने ही जज़्बात में उलझ गई थी।
अब जाकर दिल सुलझा पाया सब उलझन।
दिल से जुड़ने से, खुद से जुड़ी मैं।
दिल अब कुछ हांसिल करना नहीं चाहता।
दिल तो बस जीना चाहता है,
मेरे अपनों के साथ।