चैत्र नवरात्रि #नववर्ष

चैत्र नवरात्रि का पर्व आया है,नववर्ष लेकर आया है। नववर्ष खुशियां लेकर आये,नववर्ष सुख-शांति लेकर आये,नववर्ष उत्तम स्वास्थ्य लेकर आये,यही शुभकामनाएं देना चाहुंगी। चैत्र नवरात्रि भक्ति के रंग में डुबे,नवदुर्गा की आराधना में समय बिते,आध्यात्मिक प्रगति में समय बिते,यही शुभकामनाएं देना चाहुंगी। अन्य रचनाएं भी पढ़ें: नवरात्रि त्रिदेवी की आराधना का पर्व दुर्गा माता के नव स्वरूप... Continue Reading →

नवरात्रि

माँ..माँ जो मूल प्रकृति है,माँ जो जगजननी है,माँ जो शक्ति है,माँ जो सर्जन शक्ति है। माँ..जिनकी आराधना का पर्व आया है,पहले तीन दिन माँ काली की आराधना करनी है,दूसरे तीन दिन माँ लक्ष्मी की आराधना करनी है,आख़िरी तीन दिन माँ सरस्वती की आराधना करनी है। नवरात्रि की हार्दिकशुभकामनाएं। अन्य रचनाएं भी पढ़ें: त्रिदेवी की आराधना का पर्व... Continue Reading →

त्रिदेवी की आराधना का पर्व

नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। नवरात्रि का पर्व आया है,नवदुर्गा शक्ति का पर्व आया है। भक्ति के रंग में डुबना है,आध्यात्मिक विकास करना है। त्रिदेवी की आराधना में खुद को खो देना है,त्रिदेवी की आराधना से खुद को संवारना है। खुद के दु:खों से उपर उठना है,खुद में प्रसन्नता को ढूंढना है। काली स्वरूप तमस का प्रतीक... Continue Reading →

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (4) #नवरात्रि #दुर्गा #सिद्धीदात्री

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ।। अर्थात्: आप सभी कार्यों में मंगल प्रदान करनेवाली हो, भक्त का कल्याण करने वाली हो, सभी पुरुषार्थ ( धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) को साधने वाली हो, भक्त को शरण देने वाली गौरी हो। तीन नेत्रों वाली, हे नारायणी! आप को हम नमन करते हैं। दुर्गा का नौवा स्वरूप सिद्धीदात्री है। हमें सभी... Continue Reading →

देवी मंत्र / MANTRA for GODDESS (Reblog with a slight modification)

ॐ आनंदमयी चैतन्यमयी सत्यमयी परमे।अर्थात्:हे माँ, तुम आनंद का स्रोत हो, तुम चेतना का स्रोत हो,और तुम सत्य का स्रोत हो, तुम ही सर्वोच्च हो। सच्चिदानंद, यह संस्कृत शब्द का भी ध्यान किया जाता है, सच्चिदानंद का अर्थ “सत”, “चित”, “आनंद” होता है। सत का अर्थ सत्य, अस्तित्व होता है।चित का अर्थ चेतना होता है।आनंद... Continue Reading →

दुर्गा माता के नव स्वरूप (नौवा स्वरूप)

दुर्गा माता का यह स्वरूप हमे सिद्धियां देने वाला स्वरूप है। इसलिए यह नाम सिद्धीदात्री कहलाता है। दुर्गा माता हमे हमारी मेहनत का फल देते है और हमारी मनोकामनाएं पूर्ण करते है। भक्ति की शक्ति का स्वरूप है, असंभव कार्य को भी संभव बना देने वाला स्वरूप है। सिद्धीदात्री रूप हमें हमारी प्रतिभा को निखारने... Continue Reading →

दुर्गा माता के नव स्वरूप (आठवां स्वरूप)

दुर्गा माता का यह स्वरूप अंत्यंत गौर है, इतने गौर जैसे की शंख या चंद्र इसलिए इस स्वरूप को महागौरी कहा गया है। दुर्गा माता का यह रूप हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए ज्ञान प्रदान करता है। एसी परिस्थितियां आती है जब हमें पूरा बदलाव लाना पड़ता है। सोच को बदलने की... Continue Reading →

दुर्गा माता के नव स्वरूप (सातवां स्वरूप)

काल (समय) का नाश करने वाला स्वरूप। अंधकार रूपी अज्ञान का विनाश करने वाला स्वरूप। असुरी शक्ति का विनाश करने वाला कालरात्रि स्वरूप है। दुर्गा माता का यह स्वरूप हमे बुरी शक्तियों से बचाती है, हमारा डर दूर करते है और निडर बनाकर रक्षा करते है। हमारे अज्ञान के कारण हमे जो डर लगता है,... Continue Reading →

दुर्गा माता के नव स्वरूप ( छठा स्वरूप)

कात्याय ऋषि के आश्रम में उनकी बेटी के रूप में दुर्गा माता प्रगट हुए थे इसलिए इनको कात्यायनी कहा जाता है। यह स्वरूप अंतरज्ञान चेतना का स्वरूप है अर्थात् दुर्गा माता हमे आशीर्वाद प्रदान करते है कि हम हमारी आंतरिक सूझ बूझ ( Intuition capability) से निर्णय लेकर सफलता प्राप्त कर सके। इसी वजह से कभी... Continue Reading →

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