
कात्याय ऋषि के आश्रम में उनकी बेटी के रूप में दुर्गा माता प्रगट हुए थे इसलिए इनको कात्यायनी कहा जाता है।
यह स्वरूप अंतरज्ञान चेतना का स्वरूप है अर्थात् दुर्गा माता हमे आशीर्वाद प्रदान करते है कि हम हमारी आंतरिक सूझ बूझ ( Intuition capability) से निर्णय लेकर सफलता प्राप्त कर सके। इसी वजह से कभी हमारे दिल की आवाज कभी गलत नहीं होती है, यह अनुभव हमें कभी न कभी हुआ ही होगा।
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