दुर्गा माता के नव स्वरूप

पहला स्वरूपशैलपुत्री

दूसरा स्वरूपब्रह्मचारीणी

तीसरा स्वरूपचंद्रघंटा (सुंदरता और निर्भयता का स्वरूप)

चौथा स्वरूपकूष्माण्डा

पांचवा स्वरूपस्कन्ध माता (मातृ स्वरूप)

छठा स्वरूपकात्यायनी (अंतरज्ञान चेतना का स्वरूप)

सातवां स्वरूपकालरात्रि

आठवां स्वरूप महागौरी

नौवा स्वरूपसिद्धीदात्री

दुर्गा माता के नव स्वरूप ( छठा स्वरूप)

कात्याय ऋषि के आश्रम में उनकी बेटी के रूप में दुर्गा माता प्रगट हुए थे इसलिए इनको कात्यायनी कहा जाता है।

यह स्वरूप अंतरज्ञान चेतना का स्वरूप है अर्थात् दुर्गा माता हमे आशीर्वाद प्रदान करते है कि हम हमारी आंतरिक सूझ बूझ ( Intuition capability) से निर्णय लेकर सफलता प्राप्त कर सके। इसी वजह से कभी हमारे दिल की आवाज कभी गलत नहीं होती है, यह अनुभव हमें कभी न कभी हुआ ही होगा।