पहला स्वरूप - शैलपुत्री दूसरा स्वरूप - ब्रह्मचारीणी तीसरा स्वरूप - चंद्रघंटा (सुंदरता और निर्भयता का स्वरूप) चौथा स्वरूप - कूष्माण्डा पांचवा स्वरूप - स्कन्ध माता (मातृ स्वरूप) छठा स्वरूप - कात्यायनी (अंतरज्ञान चेतना का स्वरूप) सातवां स्वरूप - कालरात्रि आठवां स्वरूप - महागौरी नौवा स्वरूप - सिद्धीदात्री
देवी मंत्र / MANTRA for GODDESS (Reblog with a slight modification)
ॐ आनंदमयी चैतन्यमयी सत्यमयी परमे।अर्थात्:हे माँ, तुम आनंद का स्रोत हो, तुम चेतना का स्रोत हो,और तुम सत्य का स्रोत हो, तुम ही सर्वोच्च हो। सच्चिदानंद, यह संस्कृत शब्द का भी ध्यान किया जाता है, सच्चिदानंद का अर्थ “सत”, “चित”, “आनंद” होता है। सत का अर्थ सत्य, अस्तित्व होता है।चित का अर्थ चेतना होता है।आनंद... Continue Reading →
#चार आश्रम #सनातन धर्म #संस्कृत श्लोक
प्रथमेनार्जिता विद्या द्वितीयेनार्जितं धनं।तृतीयेनार्जितः कीर्तिः (पुण्य कमाना)चतुर्थे किं करिष्यति।। भावार्थ: जिसने भी प्रथम आश्रम (ब्रह्मचर्य) में विद्या अर्जित नहीं की है, द्वितीय आश्रम (गृहस्थ) में धन अर्जित नहीं किया है, तृतीय आश्रम (वानप्रस्थ) में कीर्ति अर्जित नहीं की है (पुण्य नहीं कमाया), वह चतुर्थ आश्रम (संन्यास) में क्या करेगा? सनातन धर्म में कर्त्तव्य पालन के... Continue Reading →
अपनी यात्रा पर भरोसा करें
कुछ लोगों को मंज़िल देर से मिलती है,एक-दो प्रयास में नहीं मिलती,पर बार बार प्रयास करने पर मिलती है।जब हार हार कर वो फिर से चलते हैं,तब कहीं जाकर मंज़िल मिलती है। पता है क्यों? क्योंकि मंज़िल तक पहुंचने के लिए,जो यात्रा करते हैं वो,वो यात्रा उनको खास तरह से तैयार कर रही होती हैताकि... Continue Reading →
पूर्वाग्रह का चश्मा
गर आपको किसी को समझने में ग़लतफ़हमी हुई हो,तो यह बात मान लीजिएगा कि उस व्यक्ति को परखने में आपने ही कही "पूर्वाग्रह का चश्मा" पहना होगा। बेवजह तो ग़लतफ़हमी नहीं होती है। दूसरों पर ऊंगली करने से पहले,खुद अपने बर्ताव पे भी नज़र करना,खुद अपने मन के भाव पर भी नज़र करना। अगली बार... Continue Reading →
पिंजरा या स्वतंत्रता (CAGE OR FREEDOM)
मैं यहां दो दृष्टिकोणों के बारे में बात करूंगी। पहला दृष्टिकोण यह है कि लोगों को अपने मुताबिक़ नियंत्रित करने से हम खुद को ही भावनात्मक बंधन के पिंजरे में ले जाते हैं। एसा इसलिए होता है क्योंकि हमारी इच्छा लोग पूरी करते हैं तो हम खुश होते हैं और नहीं करते हैं तो हम... Continue Reading →
🌼प्रभात प्रार्थना (2)🌼
हे देवी-देवता 🙏 हमें आशीर्वाद दें, हम एसे चरित्र निर्माण करेंकि जिस राह को चुने,उस पर नीति से चले,श्रद्धा और परिश्रम से कदम बढ़ाते रहें। हम एसी सोच का निर्माण करेकि मन का विश्वास आंतरिक है, बाह्य नहीं,दूसरों पर आधारित न रहें,आत्मविश्वास और आत्मबल से कदम बढ़ाते रहें। आप से बस यही प्रार्थना है। प्रभात... Continue Reading →
Keys to overcoming bondage (बंधन से आज़ादी)
No one outside ourselves can rule us inwardly. When we know this, we become free.Buddha Everyone seeks freedom, whatever puts you in bondage is always energy drainer and in contrast, whatever sets you free is pleasing, acts as an energy refill agent. Here I am talking about some keys or tips to achieve freeness inwardly... Continue Reading →