हे देवी-देवता 🙏 हमें आशीर्वाद दें, हम एसे चरित्र निर्माण करेंकि जिस राह को चुने,उस पर नीति से चले,श्रद्धा और परिश्रम से कदम बढ़ाते रहें। हम एसी सोच का निर्माण करेकि मन का विश्वास आंतरिक है, बाह्य नहीं,दूसरों पर आधारित न रहें,आत्मविश्वास और आत्मबल से कदम बढ़ाते रहें। आप से बस यही प्रार्थना है। प्रभात... Continue Reading →
Keys to overcoming bondage (बंधन से आज़ादी)
No one outside ourselves can rule us inwardly. When we know this, we become free.Buddha Everyone seeks freedom, whatever puts you in bondage is always energy drainer and in contrast, whatever sets you free is pleasing, acts as an energy refill agent. Here I am talking about some keys or tips to achieve freeness inwardly... Continue Reading →
भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु (तीसरा भाग)
भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरु बनाए। वे कहते थे कि जिस किसी से भी जितना सीखने को मिले, हमें अवश्य ही उन्हें सीखने का प्रयत्न अवश्य करना चाहिए। उनके 24 गुरुओं में वेश्या, बालक, चंद्रमा, कुमारी कन्या, कबूतर, पृथ्वी, सूर्य, वायु, मृग, समुद्र, पतंगा, हाथी, आकाश, जल, मधुमक्खी, मछली, टीटोड़ी पक्षी, अग्नि, सर्प, तीर (बाण)... Continue Reading →
द्वंद्व से भरा जीवन!
जीवन की अभिव्यक्ति द्वंद्व में है। जीवन द्वंद्वात्मक है, डायलेक्टिकल है।इसलिए यहां प्रकाश है और अंधेरा है।जन्म है और मृत्यु है।अच्छा है और बुरा है।सफेद है और काला है।सुंदर है और कुरुप है।राम है और रावण है। जो जानते हैं वे कहेंगे: दोनों में उसका ही खेल है।जो हम एसा जान ले, फिर हमें अड़चन... Continue Reading →
तराजू (SCALES) – Reblog
जीवन के तराजू में खुशी और गम, दोनो का पलड़ा, कोई एक तरफ ही नही जूकेगा, संतुलन बना ही रहेगा। आप पर खुशीयों की बारिश हो रही हो,तो भी अपने पैर जमी पर ही रखना। आप पर गम की बारिश हो रही हो,तो भी अपने दिल को तूटने मत देना। जीवन का सही मायने में... Continue Reading →
🌼प्रभात प्रार्थना (1)🌼
हे परमेश्वर 🙏 आप से बस यही प्रार्थना है, हमारे भीतर, कुरूपी अज्ञान सेहम मुरझा गये हैं। आप की कृपा से,हमारे भीतर, ज्ञान रूपी,सुंदर पुष्प खिल उठे। आपकी कृपा से,हम सत्कर्म और भक्ति से,ज्ञान की महक फैलाते रहें।यह एक विचार, आंतरिक शक्ति का महत्त्व दर्शाता है, भीतर हैं हमारे प्राण, भीतर है हमारा केंद्र, भीतर... Continue Reading →
कृष्ण रस
उपनिषद में रस के बारे में कहा गया है, रसो वै स:।अर्थात्वह परमात्म तत्व रस स्वरूप है। कृष्ण यानी प्रेम, आनंद और शृंगार रस से ओतप्रोत।कृष्ण यानी अनंत आनंद स्वरूप।कृष्ण रस से अद्भुत रस कोई भी नहीं है। कृष्ण के नाम और अर्थ: कृष्ण - सबको अपनी और आकर्षित करने वाला।मोहन - सम्मोहित करने वाला।मनोहर... Continue Reading →
आग्रह छोड़ो, नज़रिया बदलो
जीवन में हम जिस सोच पर चलते हैं, उस सोच से कई बार परिणाम का अनुमान लगा सकते हैं और वो अनुमान सच भी होता है, परंतु कई बार एसा ना भी हो, परिणाम का अनुमान गलत भी हो सकता है, तो इस बात को देखने के दो तरीके हैं। पहला तरीका: कुछ लोग इसे,... Continue Reading →
उच्च भावनात्मक बुद्धि (संवेगात्मक बुद्धि) की ओर यात्रा / A journey towards high emotional Intelligence
संवेगात्मक बुद्धि (इमोशनल इंटेलिजेन्स) स्वयं की एवं दूसरों की भावनाओं अथवा संवेगों को समझने, व्यक्त करने और नियंत्रित करने की योग्यता है। क्या हम खूबसूरत यात्रा की ओर कुछ कदम बढ़ा सकते हैं? किसी को नफरत करने के लिए बढ़े कदम, किसी को प्यार करने के लिए बढ़ाए। किसी की ईष्या करने के लिए बढ़े कदम,... Continue Reading →