
गर आपको किसी को समझने में ग़लतफ़हमी हुई हो,
तो यह बात मान लीजिएगा कि उस व्यक्ति को परखने में आपने ही कही “पूर्वाग्रह का चश्मा” पहना होगा। बेवजह तो ग़लतफ़हमी नहीं होती है।
दूसरों पर ऊंगली करने से पहले,
खुद अपने बर्ताव पे भी नज़र करना,
खुद अपने मन के भाव पर भी नज़र करना।
अगली बार एसा न हो,
इसलिए “पूर्वाग्रह का चश्मा” निकाल दीजिएगा ताकि ग़लतफ़हमी की कोई गुंजाइश ही ना रहे।
ग़लतफ़हमी से रिश्ते खट्टे हो जाते है, पर आप उसे दूर करकर माफी मांग लें तो फिर से रिश्ते मीठे हो जाने की संभावना बढ़ जाती है। ग़लतफ़हमी हो जाएं तो घबराने की जरूरत नहीं है पर हिम्मत रखकर उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
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