रामनवमी की शुभकामनाएं #लघुकाव्य

रमन्ते योगिन: अस्मिन सा रामं उच्यते।अर्थात्योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते है उसे राम कहते है। राम का नाम जपते है,सब कार्य करते है। राम का नाम रटते रहना है,खुद की चेतना में खोये रहना है। स्मरण भक्ति सेखुद को निखारना है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण केद्वार को खोलना है। सभी को रामनवमी की शुभकामनाएं।

चैत्र नवरात्रि #नववर्ष

चैत्र नवरात्रि का पर्व आया है,नववर्ष लेकर आया है। नववर्ष खुशियां लेकर आये,नववर्ष सुख-शांति लेकर आये,नववर्ष उत्तम स्वास्थ्य लेकर आये,यही शुभकामनाएं देना चाहुंगी। चैत्र नवरात्रि भक्ति के रंग में डुबे,नवदुर्गा की आराधना में समय बिते,आध्यात्मिक प्रगति में समय बिते,यही शुभकामनाएं देना चाहुंगी। अन्य रचनाएं भी पढ़ें: नवरात्रि त्रिदेवी की आराधना का पर्व दुर्गा माता के नव स्वरूप... Continue Reading →

नवरात्रि

माँ..माँ जो मूल प्रकृति है,माँ जो जगजननी है,माँ जो शक्ति है,माँ जो सर्जन शक्ति है। माँ..जिनकी आराधना का पर्व आया है,पहले तीन दिन माँ काली की आराधना करनी है,दूसरे तीन दिन माँ लक्ष्मी की आराधना करनी है,आख़िरी तीन दिन माँ सरस्वती की आराधना करनी है। नवरात्रि की हार्दिकशुभकामनाएं। अन्य रचनाएं भी पढ़ें: त्रिदेवी की आराधना का पर्व... Continue Reading →

#quotes #भक्ति #भक्ति का उद्देश्य

भक्ति का उद्देश्य कामना पूर्ति नहीं है पर कामनाओं का नाश है। कामना पूरी हो तो हम यह करेंगे यह तो व्यापार हो गया, जैसे कि कोई service का charge दे रहे है। भक्ति का मूल उद्देश्य जीवन में शिवत्व की प्राप्ति है, जीव का शिव से मिलन है, आध्यात्मिक प्रगति तभी होती है, जब... Continue Reading →

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (4) #नवरात्रि #दुर्गा #सिद्धीदात्री

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ।। अर्थात्: आप सभी कार्यों में मंगल प्रदान करनेवाली हो, भक्त का कल्याण करने वाली हो, सभी पुरुषार्थ ( धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) को साधने वाली हो, भक्त को शरण देने वाली गौरी हो। तीन नेत्रों वाली, हे नारायणी! आप को हम नमन करते हैं। दुर्गा का नौवा स्वरूप सिद्धीदात्री है। हमें सभी... Continue Reading →

मधुराष्टकम् (अर्थ सहित)

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥१॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम् ।चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥२॥ वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥३॥ गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥४॥ करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥५॥ गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥६॥ गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥७॥ गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥८॥ भावार्थ: (हे कृष्ण!) आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुर है, आपकी आंखें मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है, आपका जाना भी मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ।।1।। आपका बोलना मधुर है, आपका चरित्र मधुर हैं,... Continue Reading →

दुर्गा माता के नव स्वरूप (नौवा स्वरूप)

दुर्गा माता का यह स्वरूप हमे सिद्धियां देने वाला स्वरूप है। इसलिए यह नाम सिद्धीदात्री कहलाता है। दुर्गा माता हमे हमारी मेहनत का फल देते है और हमारी मनोकामनाएं पूर्ण करते है। भक्ति की शक्ति का स्वरूप है, असंभव कार्य को भी संभव बना देने वाला स्वरूप है। सिद्धीदात्री रूप हमें हमारी प्रतिभा को निखारने... Continue Reading →

दुर्गा माता के नव स्वरूप (आठवां स्वरूप)

दुर्गा माता का यह स्वरूप अंत्यंत गौर है, इतने गौर जैसे की शंख या चंद्र इसलिए इस स्वरूप को महागौरी कहा गया है। दुर्गा माता का यह रूप हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए ज्ञान प्रदान करता है। एसी परिस्थितियां आती है जब हमें पूरा बदलाव लाना पड़ता है। सोच को बदलने की... Continue Reading →

दुर्गा माता के नव स्वरूप (सातवां स्वरूप)

काल (समय) का नाश करने वाला स्वरूप। अंधकार रूपी अज्ञान का विनाश करने वाला स्वरूप। असुरी शक्ति का विनाश करने वाला कालरात्रि स्वरूप है। दुर्गा माता का यह स्वरूप हमे बुरी शक्तियों से बचाती है, हमारा डर दूर करते है और निडर बनाकर रक्षा करते है। हमारे अज्ञान के कारण हमे जो डर लगता है,... Continue Reading →

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