उपनिषद में रस के बारे में कहा गया है,
रसो वै स:।
अर्थात्
वह परमात्म तत्व रस स्वरूप है।
कृष्ण यानी प्रेम, आनंद और शृंगार रस से ओतप्रोत।
कृष्ण यानी अनंत आनंद स्वरूप।
कृष्ण रस से अद्भुत रस कोई भी नहीं है।
कृष्ण के नाम और अर्थ:
कृष्ण – सबको अपनी और आकर्षित करने वाला।
मोहन – सम्मोहित करने वाला।
मनोहर – मन का हरण करने वाला।
मदन – सुंदर, सौंदर्य से भरा हुआ।
ये कुछ नाम कृष्ण की आकर्षित शक्ति का परिचय देते हैं, जो कृष्ण रस का रस पीने की आकांक्षा जगाता है।
कृष्ण नाम का दूसरा भी अर्थ है:
“कृष्” : कर्मो का निर्मूलन
“ण” : दास्यभाव का बोधक और “ण” को उपनिषद में आनंद का स्वरूप कहा जाता है।
अर्थात्
कृष्ण कर्मो का समूल नाश करके भक्ति और आनंद की प्राप्ति करवाते हैं।
कृष्ण पर मेरी कविता यहां पढ़ें।
भक्ति रस पर कुछ पंक्तियां
आज का युग
Bahut sundar harina ji…
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खूब खूब धन्यवाद आपका। आपने दूसरी रचना पढ़ी? जो कान्हा को कुछ पंक्तियां समर्पित की है, वह भी आपको बहुत पसंद आएगी।☺️
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जी मैंने आपकी दूसरी रचना भी पढी. बहुत ही सुंदर भाव है आपके.
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☺️🙏🌻
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बहुत ही बढ़िया लिखा है अपने।👌👌
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😊😊🙏🙏
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🙏🙏
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Superb
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Thank you very much 😊
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हरे कृष्ण!
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😊🙏
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