#श्री कृष्ण श्लोक #माधव #Shri Krishna shloka #Madhav

मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिं।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानंद माधवम्।।

भावार्थ:

श्री कृष्ण की कृपा से जो गूंगे होते है वो भी बोलने लगते हैं, जो लंगड़े होते है वो पहाड़ों को भी पार कर लेते हैं। उन परम आनंद स्वरूप माधव की मैं वंदना करती हूं।

Translation in English:

Mukam karoti vaacaalam pangum langayate girim,
Yatkrupa tamham vande paramanand madhavam.

Meaning of Shloka:

By whose grace, dumbs start speak, lame men climb mountains, I worship that Shri Krishna (Madhav), the supreme bliss.

प्रेम के छह लक्षण (Six signs of love)

ददाति प्रतिगृह्णाति गुह्यमाख्याति पृच्छति।
भुङ्क्ते भोजयते चैव षड्विधं प्रीतिलक्षणम्।।

अर्थात्:

देना, लेना, एक-दूसरे के रहस्य बताना, रहस्य के बारे में कुछ भी पूछना, खाना और खिलाना — ये छह प्रेम के संकेत हैं।

सच ही कहा है, प्रेम में कुछ भी छिपा नहीं होता है, कुछ भी पूछ सकते हैं और सब कुछ बता सकते हैं, लेन-देन, एकसाथ खाना और खिलाना चलता रहता है।

Translation in English:

dadāti pratigṛhṇāti guhyamākhyāti pṛcchati,
bhuṅkte bhojayate caiva ṣaḍvidhaṃ prītilakṣaṇam.

Giving, taking, revealing secrets of each other and enquires about anything, eating and feeding– these six are the signs of love.

 

नैवेद्य मंत्र अर्थ सहित (1) (कृष्ण भगवान को भोग लगाने का मंत्र)

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।।

अर्थात्

हे गोविन्द, आपका ही सब दिया हुआ है, जो आपको ही समर्पित कर रहे हैं,
हे परमेश्वर, आपके मुख के सामने जो भी है, उसे प्रसन्नता से ग्रहण करें।

अन्य संस्कृत ब्लॉग:

उपनिषद वचन

#संस्कृत #योग / SANSKRIT QUOTES WITH MEANING (3)

अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्य मंत्र (Surya Mantra for Good Health)

आत्मज्ञान का एक विचार/ The idea of ​​Enlightenment

देवी मंत्र (ध्यान के लिए)/Goddess Mantra (For Meditation)

महा मृत्युंजय मंत्र

This image has an empty alt attribute; its file name is harina-book-cover.png
Buy Now: Jivan Ke Shabd
Amazon Link: Jivan Ke Shabd

मधुराष्टकम् (अर्थ सहित)

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥१॥

वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम् ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥२॥

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥३॥

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥४॥

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥५॥

गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥६॥

गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥७॥

गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥८॥

भावार्थ:

(हे कृष्ण!) आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुर है, आपकी आंखें मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है, आपका जाना भी मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ।।1।।

आपका बोलना मधुर है, आपका चरित्र मधुर हैं, आपके वस्त्र मधुर हैं, आपका मुड़कर देखना भी मधुर है, आपका चलना मधुर है, आपका गायों के पीछे भटकना मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ।।2।

आपकी बांसुरी मधुर है, आपके लगाए हुए पुष्प मधुर हैं, आपके हाथ मधुर हैं, आपके चरण मधुर हैं, आपका नृत्य मधुर है, आपकी मित्रता मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है। ।।3।।

आपके गीत मधुर हैं, आपका पीना मधुर है, आपका खाना मधुर है, आपका सोना मधुर है, आपका रूप मधुर है, आपका टीका मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ।।4।।

आपके कार्य मधुर हैं, आपका तैरना मधुर है, आपका हरण करना मधुर है( हरण करना याने खींच लेना / हमारे अभिमान या पाप का हरण करना) ,आपका प्यार करना मधुर है, आप जो हमें सूर्य का प्रकाश, वर्षा आदि बिना किसी भेदभाव से दे रहे है, वह मधुर हैं (वमितं मधुरं)/( वैसे तो वमन का अर्थ: उदगार-डकार -वमन होता है.. पर यहां वमन यानि एक अभ्यास के रुप में लिया है.. भगवान प्रकृति दे रहे हैं, वैसा अर्थ लिया है), आपका शांत रहना मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ।।5।।

आपका भक्तों से प्रेम करना और उनके बारे में चिंतन करना मधुर है (गुंजा मधुरा), आपकी माला मधुर है, आपकी यमुना मधुर है, उसकी लहरें मधुर हैं, उसका पानी मधुर है, उसके कमल मधुर हैं, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ।।6।।

आपकी गोपियां मधुर हैं, आपकी लीला मधुर है, आप उनके साथ मधुर हैं, आप उनके बिना मधुर हैं, आपके दर्शन मधुर है, आपकी शिष्टता मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ।।7।।

आपके गोप मधुर हैं, आपकी गायें मधुर हैं, आपकी छड़ी मधुर है (आपके हाथों में जो लाठी है वह मधुर है, वह आपको आधार दे रही है- भगवान जीव से कह रहे हैं कि मेरे पास आधार है, शक्ति है, बल है) , आपकी सृष्टि मधुर है, आपका अलग रहना, वियोग मधुर है (दलितं का अर्थ है अलग रहना, द्वेत अर्थात् आप का द्वेत भी मधुर है), आपका वर देना मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ।।8।।

International Day of Yoga संस्कृत मंत्र से, योग का महत्व

पतंजलि प्रार्थना

योगेन चित्तस्य पदेन वाचां
मलं शरीरस्य च वैद्यकेन ।
योऽपाकरोत्तमं प्रवरं मुनीनां 
पतञ्जलिं प्राञ्जलिरानतोऽस्मि ॥

हिंदी में अनुवाद:

मन की चित्त वृत्तियों को को योग से, वाणी को व्याकरण से और शरीर की अशुद्धियों को आयुर्वेद द्वारा शुद्ध करने वाले मुनियों में सर्वश्रेष्ठ महर्षि  पतंजलि को में दोनों हाथ जोड़कर नमन करता हूँ।

इस श्लोक को योगाभ्यास के शुरू में गाया जाता है।

‘योग’ शब्द संस्कृत से लिया गया है जिसका अर्थ है जुड़ना या एकजुट होना

श्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहल की गई थी, यह दुनिया के लिए भारत की तरफ से उपहार है इसलिए आज योग, सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई अलग अलग-अलग देशों में प्रसिद्ध हो चुका है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए श्री नरेंद्र मोदी के शब्द:

योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह मन और शरीर की एकता का प्रतीक है; विचार और कार्य (क्रिया); संयम और पूर्णता; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य; स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण, इन सबका प्रतीक है। यह सिर्फ व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं को खोजना, दुनिया और प्रकृति के साथ खुद का सामंजस्य बनाकर रखना है। हमारी प्रगति के लिए और स्वास्थ्य के लिए, हमें हमारी जीवन शैली को बदलना होगा और चेतना पैदा करनी होगी। चलो! हम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को अपनाने की दिशा में काम करें।

श्री नरेंद्र मोदी

मैं भी आप सभी को बस यही संदेश देना चाहूंगी कि हम शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक प्रगति के लिए प्रयास करें। योग को शुरू करें।

Translation in English:


I bow down with folded palms to Sage Patanjali, the most exalted among the contemplative sages, which is removed impurity of the mind-content through Yoga, of speech through grammar and of the body through Ayurveda.

It is the gift of India to the world; it was taken the initiative by Shree Narendra Modi, that’s why Yoga is famous worldwide.

Words of Shree Narendra Modi for international yoga day:

Yoga is an invaluable gift of India’s ancient tradition. It embodies unity of mind and body; thought and action; restraint and fulfilment; harmony between man and nature; a holistic approach to health and wellbeing. It is not about exercise but about discovering the sense of oneness with yourself, the world and nature. Changing our lifestyle and creating consciousness can help in wellbeing. Let us work towards adopting an International Yoga Day.

SHREE NARENDRA MODI

I convey this message to all of you that let’s work on our physical, mental and spiritual wellbeing! Let’s start Yoga!

Mantra source: artofliving.org

उपनिषद वचन

“अन्नं ब्रह्म।”

यह वचन उपनिषद में है, जिसका सीधा सीधा शाब्दिक अनुवाद करें तो एसा होगा कि भोजन ब्रह्म है। [अंग्रेजी में फुड इज गोड( Food is God)]

पर इतने महत वचनों के सीधे सीधे शाब्दिक अनुवाद नहीं होते, एसे वचनों को समझना पड़ता है, गहराई के भाव को जानना पड़ता है।

“अन्नं ब्रह्म” का मतलब है कि स्वाद भी लोगे तो परमात्मा का ही लोगे और तो कोई हैं नहीं। परमात्मा से प्रीति का स्वाद ही सबकुछ है।

#संस्कृत #योग / SANSKRIT QUOTES WITH MEANING (3)

योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः ।

Translation:
yogaścittavṛttinirodhaḥ ।

English Translation:
Yoga is restraining the mind-stuff (Chitta) from taking various forms (Vrittis).​

हिंदी अनुवाद:
चित्त की वृत्तियों के निरोध का नाम योग है ।

source: resanskrit.com ( patanjali”s yoga sutra)


This image has an empty alt attribute; its file name is harina-book-cover.png
Buy Now: Jivan Ke Shabd
Amazon Link: Jivan Ke Shabd

कृष्ण रस

उपनिषद में रस के बारे में कहा गया है,

रसो वै स:।
अर्थात्
वह परमात्म तत्व रस स्वरूप है।

कृष्ण यानी प्रेम, आनंद और शृंगार रस से ओतप्रोत।
कृष्ण यानी अनंत आनंद स्वरूप।
कृष्ण रस से अद्भुत रस कोई भी नहीं है।

कृष्ण के नाम और अर्थ:

कृष्ण –  सबको अपनी और आकर्षित करने वाला।
मोहन – सम्मोहित करने वाला।
मनोहर – मन का हरण करने वाला।
मदन – सुंदर, सौंदर्य से भरा हुआ।

ये कुछ नाम कृष्ण की आकर्षित शक्ति का परिचय देते हैं, जो कृष्ण रस का रस पीने की आकांक्षा जगाता है।

कृष्ण नाम का दूसरा भी अर्थ है:

“कृष्” : कर्मो का निर्मूलन
“ण” : दास्यभाव का बोधक और “ण” को उपनिषद में आनंद का स्वरूप कहा जाता है।
अर्थात्
कृष्ण कर्मो का समूल नाश करके भक्ति और आनंद की प्राप्ति करवाते हैं।

कृष्ण पर मेरी कविता यहां पढ़ें।
भक्ति रस पर कुछ पंक्तियां
आज का युग