जश्न का गीत

#ग़ज़ल

ज़िंदगी में जश्न का गीत गुनगुनाना है,
ग़मों की दास्तान सुनाना मन को भाता नहीं है।

जब खुद के ही सुर पा ले यह मन,
तब दूसरों से मिले ग़म की परवाह नहीं रहती है।

जब खुद की ही लय में झूम उठे यह दिल,
तब किसी से कोई फ़रियाद नहीं रहती है।

जब खुद की ताल पर ज़िंदगी को जीते है,
तब ज़िंदगी में जश्न का गीत गुनगुनाते है।

ज़िंदगी में जश्न का गीत गुनगुनाना है,
ग़मों की दास्तान सुनाना मन को भाता नहीं है।

Leave a Reply

Up ↑

%d bloggers like this: