कुछ लोगों को मंज़िल देर से मिलती है,
एक-दो प्रयास में नहीं मिलती,
पर बार बार प्रयास करने पर मिलती है।
जब हार हार कर वो फिर से चलते हैं,
तब कहीं जाकर मंज़िल मिलती है।
पता है क्यों?
क्योंकि मंज़िल तक पहुंचने के लिए,
जो यात्रा करते हैं वो,
वो यात्रा उनको खास तरह से तैयार कर रही होती है
ताकि मंज़िल पर जब वो पहुंचे,
तब पहले से अधिक अच्छी तरह से कार्य कर सके।
उनकी यात्रा का सफर खास होता है,
इसलिए लंबा होता है,
वो कहते है ना,
हीरा जितना घिसा जाता है,
उतना ही चमकता है।
उसी तरह देर से मंज़िल पाने वाले अक्सर चमक जाते है, हीरा ही बन जाते है।
अपनी यात्रा पर भरोसा करें। खुद पर भरोसा रखें।
अपने सपनों को कभी आधे सफर में छोड़ न देना, देर से सही पर सपने साकार जरुर होंगे।
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