
शिवो भूत्वा शिवं यजेत।
अर्थात्
शिव बनकर ही शिव की पूजा करें।
इसका यह मतलब है कि हर एक जीव शिव का ही अंश है, यह अनुभूति के साथ उनकी पूजा करें। आराधना करें तो शिव में खोकर करें। हम शिव से अलग नहीं है, हम शिव का ही अंश है, यह विचार मात्र से ही भगवान और भक्त का सबसे प्यारा संबंध महसूस होने लगेगा, यह आनंद की अनुभूति को महसूस करके शिव में खो जाएं ।
भक्ति की चरम सीमा पर पहुंचने का संदेश इस वाक्य में दिया गया है, शिव हमसे अलग नहीं है, हमारे अंदर शिव है, उसे जानकर शिव को महसूस करके शिव बन जाएं यानी जीव-शिव एक ही हो जाएं, एसी भक्ति करने की महिमा इस एक वाक्य में छिपी हुई है।
पूजा-अर्चना एक यांत्रिक क्रिया न रहकर, आध्यात्मिक प्रगति का साधन होनी चाहिए, यही इसका सार है।
शिव जी के अन्य ब्लॉग:
शिव पंचाक्षर स्तोत्र (५ अक्षर: नमः शिवाय)
Bahut sundar…
LikeLiked by 2 people
खूब खूब धन्यवाद 😊
LikeLike
अपने को कभी भी तुच्छ नहीं समझना चाहिए
बहुत सही कहा दीदी💕😊
नाथ जी न थे मुझसे दूर न मैं उनसे दूर था
आता न था नज़र को नज़र का क़ुसूर था
LikeLiked by 2 people
वाह! क्या बात कही!👏☺️
LikeLiked by 1 person