चलो छोड़ो, जाने भी दो

चलो छोड़ो, जाने भी दो
हमारे मन से, कुछ बातों को।

कब तक याद करते रहेंगे,
चोट पहुंची हुई यादों को?

बुरा वक्त था, चला गया
पतझड़
का मौसम था, चला गया।

चलो छोड़ो, जाने भी दो
हमारे मन से, कुछ बातों को।

10 thoughts on “चलो छोड़ो, जाने भी दो

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  1. सच में बहुत याद आता है
    #तेरा_चेहरा
    बहुत लुभाता है
    #तेरा_चेहरा
    आज भी तेरी आंखें
    पूछती हैं मुझसे कई
    सवाल
    कुछ अटपटे कुछ
    बेमिसाल
    वही तेरे होठों की मंद मंद
    मुस्कान
    तेरी नजरों का नजरिया
    जैसे आसमां पे काली
    बदरिया
    नेह बरसाती है उम्मीदों का
    हाथ पे जमजाती हो जैसे
    सरसों

  2. दिल को समझाते हैं तो
    आँखें बरसती हैं,
    आँसू को बहने से रोकूँ,
    तो दिल तड़पता है,
    सोचते हैं भूल जाएँ सबकुछ,
    मगर मधुमास बिन गुल के लाना मुश्किल,
    पतझड़ से प्रेम अब मिटाना मुश्किल।

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