हम ख़तरों के खिलाड़ी नहीं है,
हम तो खुद एक ख़तरा है।
जो हम से खेलता है,
जो हमको निभा पाता है,
वो खुद एक खिलाड़ी बन जाता है।
😁😄😅😃
हम ख़तरों के खिलाड़ी नहीं है,
हम तो खुद एक ख़तरा है।
जो हम से खेलता है,
जो हमको निभा पाता है,
वो खुद एक खिलाड़ी बन जाता है।
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3 responses to “विचारों की माला- (हास्य रस) (शरारत भरे अंदाज़) खतरों के खिलाड़ी”
वाह जी वाह!
☺️☺️
[…] […]