पूर्णता का नया जहां

एक नया जहां बसाएं,
जिसमें पूर्णता की रौशनी हो,
जिसमें पूर्णता की चांदनी हो।

प्रेममय बन जाने से,
सिर्फ प्रेम को बांटने से,
पूर्णता का एहसास होगा।

प्रेम को सिर्फ मांगते रहने से,
अपूर्णता का एहसास होगा।

आनंदमय बन जाने से,
आनंदित प्रकृति होने से,
पूर्णता का एहसास होगा।

व्यथा और उदासी से,
अपूर्णता का एहसास होगा।

आत्म-निर्भर बन जाने से,
खुद का विकास, खुद करने से,
पूर्णता का एहसास होगा।

दूसरों पर आश्रित रहने से,
अपूर्णता का एहसास होगा।

एक-दूसरे के साथ, एकता से जीना,
इस गुण का विकास करने से,
पूर्णता का एहसास होगा।

मान-सम्मान देकर रहने से,
प्रेम भाव से जीने से,
पूर्णता का एहसास होगा।

एक नया जहां बसाएं,
जिसमें पूर्णता की रौशनी हो,
जिसमें पूर्णता की चांदनी हो।

13 responses to “पूर्णता का नया जहां”

  1. प्रेम मांगा नही जाता,
    प्रेममय बन जाने से,
    सिर्फ प्रेम को बांटने से,
    पूर्णता का एहसास होगा।
    बिल्कुल सही कहा। खूबसूरत रचना।👌👌

Leave a Reply

%d bloggers like this: