चलो आज….
किसी और से नहींं,
खुद से बातें करे।
खुद के कार्य पे नज़र डाले,
खुद के विचारों पे नज़र डाले,
खुद से हुई भूलों को पहचाने,
खुद से ही भूलों को सुधारे।
चलो आज….
किसी और का नहीं,
खुद का मूल्यांकन करे।
खुद को जानने से ही,
जीवन में होगा सुर,
वरना होगा बेसुरा।
चलो आज….
एक आदत बनाए।
थोड़े थोड़े समय पर,
खुद का मूल्यांकन करे।
एक सुंदर आदत से,
जीवन को सुंदर बनाए।
16 responses to “एक सुंदर आदत”
Amazingly written
Thank you soo much😊
बहुत प्रेरणदायक बातें .
Thank you 🙏😊
कुछ लफ्ज़..रुके रुके से हैं जुबा पर..
शायद लिहाज़ है इन्हें..मेरे मजबूर होने का …
👌👌
Very true,
खुद को खुद से मिला रहा हूँ, अपना परिचय बना रहा हूँ,
क्योंकि कोई और ना साथ देगा, अगर ख़ुदी को बुलंद ना की.
वाह! बहुत बढ़िया पंक्तीया।
धन्यवाद
“एक आदत बनाए।
थोड़े थोड़े समय पर,
खुद का मूल्यांकन करे।
एक सुंदर आदत से,
जीवन को सुंदर बनाए।”
Forst class thought👍
⭐⭐⭐⭐⭐
🙏🙏
Yeah. True. Self assessment भी जरूरी है
Thank you so much for liking this poem!😊😊
☺😇
Very true…
☺️🙏