मधुराष्टकम् (अर्थ सहित)

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥१॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम् ।चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥२॥ वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥३॥ गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥४॥ करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥५॥ गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥६॥ गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥७॥ गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥८॥ भावार्थ: (हे कृष्ण!) आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुर है, आपकी आंखें मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है, आपका जाना भी मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ।।1।। आपका बोलना मधुर है, आपका चरित्र मधुर हैं,... Continue Reading →

शिव षडक्षर स्तोत्र अर्थ सहित (६ अक्षर: ॐ नमः शिवाय)

शिव भगवान का पंचाक्षर मंत्र है:नमः शिवाय।और षडक्षर मंत्र है:ॐ नमः शिवाय। मंत्र के साथ, स्तोत्र भी है। आप पंचाक्षर स्त्रोत भी पढ़ सकते है, लिंक:शिव पंचाक्षर स्तोत्र आज मैं षडक्षर स्तोत्र की जानकारी प्रदान करूंगी। स्तोत्र: ॐ कारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिन:।कामदं मोक्षदं चैव ॐ काराय नमो नमः।।१।। नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणा:।नरा नमंति... Continue Reading →

नवधा भक्ति

सनातन धर्म में भक्ति के ९ प्रकार दिये हैं, जो नवधा भक्ति कही जाती है। पढीए और सोचिए.. आप कौन से प्रकार की भक्ति करते है? १) श्रवण - भगवान की कथा, ग्रंथ, लीला आदि सुनना। २) कीर्तन - भगवान के स्तोत्र, गुणों, भजन का कीर्तन करना। ३) स्मरण - भगवान को स्मरण करना, उनकी... Continue Reading →

दीपावली की शुभकामनाएं #संस्कृत प्रार्थना

प्रार्थना:-असतो मा सदगमय।तमसो मा ज्योतिर्गमय।मृत्योमामृतम् गमय।ॐ शांति शांति शांति।।अर्थात्हमको असत्य से सत्य की ओर ले चलों।अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलों।मृत्यु से अमरता की ओर ले चलों।ॐ शांति शांति शांति।।दीपावली मतलब प्रकाश का पर्व, हम यह प्रार्थना करके अपने अंदर ज्योति प्रगटाए और सिर्फ बहार ही प्रकाश का अनुभव न करकर, अपने भीतर भी... Continue Reading →

दुर्गा माता के नव स्वरूप (आठवां स्वरूप)

दुर्गा माता का यह स्वरूप अंत्यंत गौर है, इतने गौर जैसे की शंख या चंद्र इसलिए इस स्वरूप को महागौरी कहा गया है। दुर्गा माता का यह रूप हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए ज्ञान प्रदान करता है। एसी परिस्थितियां आती है जब हमें पूरा बदलाव लाना पड़ता है। सोच को बदलने की... Continue Reading →

दुर्गा माता के नव स्वरूप (तीसरा स्वरूप) (सुंदरता और निर्भयता का स्वरूप)

दुर्गा माता का यह स्वरूप सुंदरता का स्वरूप और निर्भयता का स्वरूप है। माता के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है, इसलिए इनको चंद्रघंटा कहा जाता है। चंद्र को सुंदरता प्रतीक कहा जाता है और दुर्गा माता का यह रूप सोना जैसे एकदम चमकीला होता है वैसा ही चमकीला है, इसलिए यह... Continue Reading →

श्री हनुमत् पंचरत्नंस्तोत्र

(आदि शंकराचार्य द्बारा रचित- संस्कृत भाषा में) वीताखिल-विषयेच्छं जातानंदाश्र पुलकमत्यच्छम्।सीतापति दूताधं वातात्मजमध भावये हधम्।।१।। तरुणारूण मुख-कमलं करुणा-रसपूर पूरितापांगम्।संजीवनमाशासे मंजूल- महिमानमंजना भाग्यम्।।२।। शंबरवैरि- शरातिगमंबुजदल विपुल लोचनोदारम्।कंबुगलमनिलदिष्टम् विम्ब- ज्वलितोष्ठमेकमवलंबे।।३।। दूरिकृत- सीतार्ति प्रकटिकृत रामवैभव स्फूर्ति:।दारित-दशमुखकीर्ति: पुरतो मम भातु हनुमतो मूर्ति:।।४।। वानर निकराध्यक्षम् दानव कुलकुमुद रविकर सद्द्क्षम्।दीन-जनावन-दीक्षं पवनतप: पाकपुंजमद्वाक्षम्।।५।। एतत्पवनसुतस्य स्त्रोतं य: पठति पंचरत्नाख्यं।चिरमिह-निखिलान् भोगान् भूंकत्वा श्रीरामभक्तिभाग्भवति।।६।। (स्तोत्र का... Continue Reading →

द्बादशनाम स्तोत्र (संकटमोचनी स्तुति) (हनुमानजी की बहुत छोटी स्तुति)

हनुमानंजनीसूनुवायुपुत्रो महाबल:।रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोडमित विक्रम:।।१।। उदधिक्रमणश्चैव सीता शोक विनाशन:।लक्ष्मण प्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।२।। एवं द्वादशनामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।३।। तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।राजद्बारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।४।। भावार्थ:- १ और २ का भावार्थ: हनुमानजी के १२ नामो का वर्णन किया है। मैंने हनुमानजी के १२ नामो का... Continue Reading →

હનુમાન ભગવાનના ૧૨ નામ અને અર્થ (हनुमान भगवान के १२ नाम और अर्थ)

હનુમાનજી:- જેમણે ભારતીય મહાકાવ્ય રામાયણમાં સૌથી મહત્વપૂર્ણ ભૂમિકા ભજવેલી છે. જે શિવ ભગવાનનો અવતાર છે અને શ્રીરામના પરમ સેવક અને ભક્ત છે. જે તાકાત અને બુદ્ધિના સાગર છે. જે અષ્ટ સિદ્ધિ અને નવ નિધિના દાતા છે. જે દરેક યુગમાં હાજરાહજૂર છે, અમર છે. ૧) હનુમાનજી - જેમના જડબા તુટેલા છે હનુમાનજીના જડબા (સંસ્કૃતમાં હનુ) ઈન્દ્રના... Continue Reading →

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