#संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (3) #एकमत होना # विवाद से मुक्त #कर्तव्य पालन

सं गच्छध्वं सं वदध्वं, सं वो मनांसि जानताम् ।
देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते ।।

अर्थात्:

हम मनुष्यो को (सं गच्छध्वम्) मिलकर चलना चाहिए। (सं वदध्वम्) मिलकर बोलना चाहिए। हमारे मन एक प्रकार के विचार करें, जैसे प्राचीन देवो या विद्वानों ने एकमत होकर अपने – अपने भाग को स्वीकार किया, इसी प्रकार हम भी एकमत होकर अपना भाग (कर्त्तव्य) स्वीकार करें ।

इस श्लोक से यह प्रेरणा मिलती है कि हमें परस्पर साथ मिलकर चलना चाहिए यानी परस्पर विरोध करने की भावना से उपर उठना चाहिए, विवाद से उपर उठना चाहिए, मूर्ख लोग ही विवाद करते है, ज्ञानी सोच-समझकर अपना पक्ष रखते है।

हम सब के अलग-अलग कर्त्तव्य (श्लोक में भाग शब्द का प्रयोग किया है) होते है, उसको निष्ठा से करते रहना चाहिए, विवाद में मन होगा तो कर्त्तव्य पालन में बाधाएं आएंगी।

कोई भी व्यक्ति एसा नहीं है जिसका कोई कर्त्तव्य ना हो, उसे स्वीकार करके पूरा करना चाहिए।

मन एक प्रकार के विचार करे यानी एसा नहीं कि सब एक जैसा ही सोचे, पर परस्पर विचारों में एकता हो, सबके विचारों को सम्मान दे, अक्सर परिवार में किसी एक व्यक्ति के हिसाब से ही सब चले एसी अपेक्षा रखी जाती है, पर इस भावना से उपर उठकर परस्पर निर्णय लेने में एकमत की भावना रखनी चाहिए।

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Author: Harina Pandya

I am Harina Pandya, with a bundle of enthusiasm, positive thinking and creativity. I am a poet and a blogger. I am passionate about writing since childhood, expressing myself through writing in three different languages namely Gujarati, Hindi and English. I love to share on different topics in a poetry form, article form and as an illustrator form as well.

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