
जो तेरा ही है,
वो तुझे अर्पण।
हे ईश्वर, हे जगत पिता
हम तुझे क्या दे सकते हैं?
हमारा कुछ भी नहीं,
तूने ही सब सर्जन किया है।
गर प्रकृति से कुछ अर्पण करें,
हमनें कहां प्रकृति को बनाया है?
तूने ही ये सब सर्जन किया है।
जो तेरा ही है,
वो तुझे अर्पण।
हम सिर्फ प्रेम-भाव ही दे सकते हैं,
हम सिर्फ तेरे भक्त बन सकते हैं।
क्योंकि हमने सुना है,
इश्वर सिर्फ भाव के भूखे हैं,
इश्वर सिर्फ भक्ति से तृप्त होते हैं।
हम यही याचना करते हैं,
हम पर सदा तुम्हारे आशीर्वाद बने रहें,
हम सदा तुम्हारे भक्त बने रहें।
श्री गणेशाय नम:।
🙏 श्री गणेशाय नमः।🙏
Hi Harina! Happy Ganesh Chaturthi!!
😊🙏🙏
दिया जीवन आज उन्होंने
कहते श्री गणेश उन्हें
विवेक बुद्धि के वो दाता
उन बिन ज्ञान ना मिल सके।।
कहते हैं जो लेखक होते
उन पर कृपा दृष्टि वो सदा रखे
करते वन्दना श्री गणेश की
हम भी लेखक है नए बने।।
चाहते हम भी रखो द्रष्टि
है देवी हमसे नाराज वहां
संशोधित करवाना है कानून
है तलाक पीड़ित नारी यहा।।
बरसो से न्याय ना मिल रहा
जवानी रूप बदल रही वहाँ
सँग दुखी परिवार वाले
सँग दुखी रिश्तेदार वहाँ।।
बरसो की है यह बीमारी
नीति आंकलन करवाना वहाँ
सम्बन्ध नही तो तलाक तुरंत
हो समय की प्रतिबद्धता वहाँ।।
खुद ब खुद मिलेगा न्याय
नारी कहे उसको कहे यहा।।
श्री गणेशाय नमः।🙏🙏👌👌
इतना सुंदर रचना केसे लिख दी
😊😊 bhakti bhav ka ehsas hua..aur rachna apne aap ho gai..god grace!🙏😊
जय श्री कृष्ण जी
जय श्री कृष्ण🙏