हम नासमझ है

ज़िंदगी ने हमें, सब कुछ दिया,
बेहतर ज़िंदगी के लिए, सब कुछ दिया।

पेड़-पौधें, ज़मीन, पानी, हवा
प्रकृति देकर एहसान किया।

पर हम नासमझ है,
प्रकृति को प्रदूषित कर दिया।

लालच बढ़ाते गये,
और प्रकृति को बिगाड़ते गये।

प्रकृति को बिगाड़ते बिगाड़ते,
जब ज़िंदगी बदतर होने लगी

तब जाकर प्रकृति की
क़ीमत होने लगी।

क़ीमत भी तब हुई,
जब ज़िंदगी के लिए
जूझ रहे हैं सब!

5 responses to “हम नासमझ है”

  1.  हम नासमझ है,

    Baat ekdum sahi hai…par baat der se samajhte hai log.

    Aapne achha kiya, logo ko btaya..umeed hai log aapki baat ko samajh ke

    Shaan se kahengey
    Haa,  हम नासमझ है,👍

    🌟🌟🌟🌟🌟

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