जीवन में हम जिस सोच पर चलते हैं, उस सोच से कई बार परिणाम का अनुमान लगा सकते हैं और वो अनुमान सच भी होता है, परंतु कई बार एसा ना भी हो, परिणाम का अनुमान गलत भी हो सकता है, तो इस बात को देखने के दो तरीके हैं।
पहला तरीका: कुछ लोग इसे, दुःखी होकर चिंता के नज़रिये से देखते हैं।
दूसरा तरीका: कुछ लोग इसे, हंसते हुए अनुभव के नज़रिये से देखते हैं।
हर बार जीवन, हम जैसा चाहे, वैसा ही नहीं होता, यही जीवन की सच्चाई है, इसे स्वीकार करें।
सारी चीजें मेरे बस में रहे- यह आग्रह छोड़ दीजिए।
सारे हालात मेरे बस में रहे- यह आग्रह छोड़ दीजिए।
हालात पर हमारा कोई बस नहीं पर हालातों को देखने का नज़रिया हमारे बस में है। आग्रह को छोड़ो, नज़रिया बदलो।
कोई भी अनुमान ग़लत हो जाए, तो इसे मन पर हावी न करते हुए, उसे अनुभव और सीख के रुप में लीजिए, बोझ या निराशा के रुप में मत लीजिए।
10 responses to “आग्रह छोड़ो, नज़रिया बदलो”
Aap apni age se kafi aage hai.Aap ne bahut acchha post likha hai aur
aap ko bhaut sara dhanyabad!
Thank you so much for appreciation..It means a lot for me!😊😊
bahut shaandaar 👌👌
खूब खूब धन्यवाद 😊
बहुत ही बढ़िया लिखा है।लिखते रहिये।
सराहना के लिए तहेदिल से शुक्रिया 😊
Don’t treat yourself as a slave of circumstances. Your are the creator of your destiny as well as destroyer. Just go ahead, & rock the world….!!!
Yes! It’s all up to us✌️🤘
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