तुम बदल गये हो

पहले जब हम से ख़ता हो जाती थी,
चाहे कैसी भी ख़ता हो,
तुम नज़रअंदाज़ कर देते थे,
कभी भी हम से दूर ना हुए।

पर आज जब हम से ख़ता हो जाती है,
चाहे छोटी सी भी क्यों ना हो,
तुम हम से दूर जाने के बहानें ढूंढने लगे हो,
तुम दूरियां बढ़ाने लगे हो।

पहले तो तुम्हारी नज़रों में,
हम बेकसूर ही होते थे,
पर अब हर बार,
हम ख़तावार ही होते है।

एसा कहकर तुम मेरे पास आये थे
कि तुम्हारी निर्दोषता पर घायल हुआ हूं,
और अब एसा कहकर दूर हो रहे हो
कि तुम्हारे दोषों से तंग आ गया हूं।

बदलते हुए मौसम की तरह,
तुम बदल गये हो।
बदलते हुए हवा के रुख़ की तरह,
तुम्हारे इश्क का रुख़ बदल गया है।

Author: Harina Pandya

I am Harina Pandya, with a bundle of enthusiasm, positive thinking and creativity. I am a poet and a blogger. I am passionate about writing since childhood, expressing myself through writing in three different languages namely Gujarati, Hindi and English. I love to share on different topics in a poetry form, article form and as an illustrator form as well.

5 thoughts on “तुम बदल गये हो”

  1. अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे
    तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे

Leave a Reply

%d bloggers like this: