सवेरा तो रोज़ होता है,
पर हमारा सवेरा तब होता है,
जब हमारे दुर्गुणों का सूरज डूबता है
और सद्गुणों का सूरज उगता है।
जब हम दूसरों की भावनाओं का
फायदा उठाना बंद करेंगे,
तब हमारा सवेरा होगा।
जब हम दूसरों की भावनाओं का सम्मान करेंगे,
तब हमारा सवेरा होगा।
जब तक दुर्गुणों की शरण होगी,
तब तक अंधेरे की शरण होगी।
जब भी सद्गुणों की शरण होगी,
तब प्रकाश की शरण होगी।
Very nice.
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Thank you dear!
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Welcome.
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