दिल,
मेरा नया आशियाना!
जिसमें मैं रहने लगी हूँ।
पहले दिल से बहुत दूर थी,
जब अपने ही जज़्बात में उलझ गई थी।
अब जाकर दिल सुलझा पाया सब उलझन।
दिल से जुड़ने से, खुद से जुड़ी मैं।
दिल अब कुछ हांसिल करना नहीं चाहता।
दिल तो बस जीना चाहता है,
मेरे अपनों के साथ।
Ladt 2 l8nes,
Dil toh bus jeena chahta hai
Apno ke saath…
Bahut he pyari aur dilchasp l8ne h
🌟🌟🌟🌟🌟
आपको यह पंक्तियां पसंद आई, ये जानकर खुशी मिली☺️☺️
Well written 👏 👏
Thank you for liking it.
Most lovely…..