जैसे नदी बहती है, सागर के लिए।
वैसे हम जीते है, एक-दूजे के लिए।
जैसे बाती जलती है, दिये के लिए।
वैसे हम जीते है, एक-दूजे के लिए।
जैसे नदी बहती है, सागर के लिए।
वैसे हम जीते है, एक-दूजे के लिए।
जैसे बाती जलती है, दिये के लिए।
वैसे हम जीते है, एक-दूजे के लिए।
5 responses to “एक-दूजे के लिए”
मैं भी वैसे ही जीता हूँ 😄
😀😀👍
sang jinaa sang marne ki khwahish hai……..ye rab ki yaa meri aajmaayeesh hai.
😊🙏👌
[…] एक-दूजे के लिए […]