विचारो की माला- गिरने का डर (सवाल-जवाब के रूप में)

किसी ने मुझसे पूछा,
तुम को गिरने का डर नही लगता?
तो मैंने जवाब दिया,

पहले बहुत डर लगता था गिरने का,
तब गिरने का अनुभव जो ना था,
तब लोगों के द्वारा गिराया गया जो ना था।

पर अब बात कुछ और है,
अब डर नहीं लगता गिरने का
क्योंकि गिरकर संभलने का हुनर जो पा लिया।

6 responses to “विचारो की माला- गिरने का डर (सवाल-जवाब के रूप में)”

  1. मुक़द्दर का रोया हुआ मुसाफिर मैं नहीं,
    बंदे ने आँशुओं में डूबकर तैरना सीख रखा है।

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