सभी को शनि जयंती की शुभकामनाएं। १० नामः कोणस्थ - सौरमंडल में सूर्य से छठे स्थान में स्थित है, बीच में है इसलिये कोणस्थ कहा गया है। पिंगल- गहरे नीले रंग के है। बभ्रु - स्वभाव क्रोधी है इसलिये अग्नि समान कहा गया है। कृष्ण - गहरे रंग से काले भी दिखाई देते है ।... Continue Reading →
गुरु पूर्णिमा
आप सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं| गुरु पूर्णिमा पर मेरे पुराने ब्लॉगों के कुछ लिंक यहां दिए गए हैं। गुरु का महत्व- संस्कृत श्लोक (पहला भाग) गुरु के लिए नया नज़रिया दर्शाती हुई कविता! (दूसरा भाग) भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु (तीसरा भाग) ગુરુ પૂર્ણિમા નિમિત્તે વિશેષ ગઝલ (गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विशेष ग़ज़ल) દત્તાત્રેય ગુરુની... Continue Reading →
દત્તાત્રેય ગુરુની આરતી – સંસ્કૃત શબ્દોનું ગુજરાતીમાં અનુવાદ
જય જય જય ગુરુદેવ!વંદે અત્રિકુમારં ત્રિભુવનભર્તારમ્જનિમૃતિસંસૃતિકાલં તાપત્રયહારમ્. અર્થઃ ગુરુદેવની જય હો,અત્રિના પુત્ર દત્તાત્રેયજીને વંદન, જે ત્રણે લોકના સ્વામી છે.દત્તાત્રેય પ્રભુ લોકોનું મૃત્યુ, સંસાર કાળ અને તકલીફો બધુ જ દૂર કરી દે છે. કરુણાપારાવારં યોગિજનાધારમ્કૃતભવજલનિધિપારં ષડદર્શનસારમ્. અર્થઃ દત્તાત્રેય ગુરુ કરુણાના સાગર છે અને યોગિજનોના આધાર છે.દત્તાત્રેય પ્રભુએ સંસારની તથા સમુદ્રની ઉત્પતિ કરી છે, દત્તાત્રેય પ્રભુ ષડદર્શનનો... Continue Reading →
હનુમાન ભગવાનના ૧૨ નામ અને અર્થ (हनुमान भगवान के १२ नाम और अर्थ)
હનુમાનજી:- જેમણે ભારતીય મહાકાવ્ય રામાયણમાં સૌથી મહત્વપૂર્ણ ભૂમિકા ભજવેલી છે. જે શિવ ભગવાનનો અવતાર છે અને શ્રીરામના પરમ સેવક અને ભક્ત છે. જે તાકાત અને બુદ્ધિના સાગર છે. જે અષ્ટ સિદ્ધિ અને નવ નિધિના દાતા છે. જે દરેક યુગમાં હાજરાહજૂર છે, અમર છે. ૧) હનુમાનજી - જેમના જડબા તુટેલા છે હનુમાનજીના જડબા (સંસ્કૃતમાં હનુ) ઈન્દ્રના... Continue Reading →
#वसंत पंचमी #सरस्वती द्वादश नामावली अर्थ सहित (सरस्वती देवी के १२ नाम)
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं। प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती।तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसवाहिनी।। पंचमं जगतीख्याता षष्ठं वागीश्वरी तथा।कौमारी सप्तमं प्रोक्ता अष्ठमं ब्रह्मचारिणी।। नवमं बुद्धिदात्री च दशमं वरदायिनी।एकादशं चंद्कांति द्वादशं भुवनेश्वरी।। ब्राह्या: द्वादश नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्तर:।जिह्वाग्रे वसते नित्यं ब्रह्मारूपा सरस्वती।। १२ नाम के अर्थ: १) भारती - वाणी की देवी २) सरस्वती -... Continue Reading →
हमारी शक्ति का स्रोत [संस्कृत श्लोक- (5)]
जब हम दुनियादारी की स्वार्थ वृति से टूट जाए, तब हमें यह श्लोक निस्वार्थ वृति को फैलाने की शक्ति देता है। हमें कभी अकेला महसूस नहीं होने देगा, गर विश्वास है तो ईश्वर हमारे साथ ही है क्योंकि वह हमारे भीतर ही है, हमें ही भीतर देखना है। यह श्लोक का अर्थ हम सभी को... Continue Reading →
उपनिषद वचन
“अन्नं ब्रह्म।” यह वचन उपनिषद में है, जिसका सीधा सीधा शाब्दिक अनुवाद करें तो एसा होगा कि भोजन ब्रह्म है। [अंग्रेजी में फुड इज गोड( Food is God)] पर इतने महत वचनों के सीधे सीधे शाब्दिक अनुवाद नहीं होते, एसे वचनों को समझना पड़ता है, गहराई के भाव को जानना पड़ता है। “अन्नं ब्रह्म” का... Continue Reading →
संस्कृत गीत (जीवन का गीत)
संस्कृत गीत का हिंदी में भाषांतर भी दिया हुआ है। गीत के रचनाकार स्व. पद्मश्री डॉ. श्रीधर भास्कर वर्णेकर जी है। गीत: मनसा सततं स्मरणीयम्वचसा सततं वदनीयम्लोकहितं मम करणीयम् ॥ लोकहितं॥ न भोगभवने रमणीयम्न च सुखशयने शयनीयनम्अहर्निशं जागरणीयम्लोकहितं मम करणीयम् ॥ मनसा॥ न जातु दु:खं गणनीयम्न च निजसौख्यं मननीयम्कार्यक्षेत्रे त्वरणीयम्लोकहितं मम करणीयम् ॥ मनसा॥ दु:खसागरे... Continue Reading →
#श्री कृष्ण श्लोक #माधव #Shri Krishna shloka #Madhav
मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिं।यत्कृपा तमहं वन्दे परमानंद माधवम्।। भावार्थ: श्री कृष्ण की कृपा से जो गूंगे होते है वो भी बोलने लगते हैं, जो लंगड़े होते है वो पहाड़ों को भी पार कर लेते हैं। उन परम आनंद स्वरूप माधव की मैं वंदना करती हूं। Translation in English: Mukam karoti vaacaalam pangum langayate... Continue Reading →