झूठे-मूठे शब्द (मेरे विचारों की माला)

लोग चाहे कितने भी
झूठे-मूठे शब्दों से
अपनापन जताते हो,
पर आंखें कभी झूठ नहीं बोलती है,
आंखों में नीयत नज़र आ ही जाती है।


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