ज़िंदगी के लम्हे

ज़िंदगी का हर लम्हा
उलझनों में ही,
क्यों बिताते हो?

ज़िंदगी के कुछ लम्हे,
ज़िंदगी का आनंद लेने में भी बिताए।

ज़िंदगी का हर लम्हा
डर में ही,
क्यों बिताते हो?

ज़िंदगी के कुछ लम्हे,
ज़रा खुल कर भी बिताए।

ज़िंदगी का हर लम्हा
रोने में ही,
क्यों बिताते हो?

ज़िंदगी के कुछ लम्हे,
हंसने के मौके ढूंढने में भी बिताए।

9 responses to “ज़िंदगी के लम्हे”

  1. ज़िंदगी के कुछ लम्हे,
    हंसने के मौके ढूंढने में भी बिताए।

    Zindagi ko dekhne ka bahot he achha najariya hai aapka…
    Aapki simple words me zindagi ki philosophy ko present kiya h..

    Har kisi ko padhna chaiey…

    Good work done⭐⭐⭐

      • हरिणा जी, समय मिले तो मेरा ब्लॉग भी आवश्य चेक कीजियेगा। अपने सह-कवियों से सुझाव अवं टिप्पणियां पाकर अपने लेखन में सुधार का प्रयास कर रहा हूँ।🙏

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