दुर्गा माता के नव स्वरूप

पहला स्वरूपशैलपुत्री

दूसरा स्वरूपब्रह्मचारीणी

तीसरा स्वरूपचंद्रघंटा (सुंदरता और निर्भयता का स्वरूप)

चौथा स्वरूपकूष्माण्डा

पांचवा स्वरूपस्कन्ध माता (मातृ स्वरूप)

छठा स्वरूपकात्यायनी (अंतरज्ञान चेतना का स्वरूप)

सातवां स्वरूपकालरात्रि

आठवां स्वरूप महागौरी

नौवा स्वरूपसिद्धीदात्री

दुर्गा माता के नव स्वरूप (सातवां स्वरूप)

  • काल (समय) का नाश करने वाला स्वरूप।
  • अंधकार रूपी अज्ञान का विनाश करने वाला स्वरूप।
  • असुरी शक्ति का विनाश करने वाला कालरात्रि स्वरूप है।

दुर्गा माता का यह स्वरूप हमे बुरी शक्तियों से बचाती है, हमारा डर दूर करते है और निडर बनाकर रक्षा करते है। हमारे अज्ञान के कारण हमे जो डर लगता है, वो डर दूर करकर हमे ज्ञान प्रदान करते है।

दुर्गा माता के नव स्वरूप ( पहला स्वरूप)

शैल का अर्थ पर्वत, हिमालय पर्वत की पुत्री यानी देवी पार्वती, शैलपुत्री कहलाती है। दुर्गा माता के पहले स्वरूप ने पहाड़ से जन्म लिया है।

पहले दिन दुर्गा माता के शैलपुत्री स्वरुप की पूजा की जाती है।

आज से शुरू हुए नवरात्रि के उत्सव की आप सभी को शुभकामनाएं।

नवरात्रि मतलब शक्ति की आराधना का पर्व, दुर्गा माता की आराधना का पर्व। दुर्गा माता के नव स्वरूप है, हर दिन अलग अलग स्वरूप का है, मै आप सभी को हर दिन, माता के एक स्वरूप की जानकारी दूंगी।