शाकंभरी जयंती महत्व – कविता

शाकंभरी नवरात्रि का पर्व आता है तब दुर्गा देवी के शाकंभरी रूप की आराधना की जाती है। इस साल शाकंभरी नवरात्रि पौष मास की शुक्लपक्ष की अष्टमी (30 दिसम्बर, 2022) से आरंभ हुई थी और आज पौष मास की पूर्णिमा (6 जनवरी, 2023) को पूर्ण होंगी। पौष पूर्णिमा के दिन शाकंभरी जयंती मनायी जाती है। आज के दिन को अंबाजी प्राकट्योत्सव से भी मनाया जाता है।

मैंने इस खास दिन के महत्व को दर्शाती हुई एक छोटी सी कविता लिखी है। आप सब को पसंद आएगी यही आशा करती हूं।

कविता:

पौष पूर्णिमा का दिन है,
शाकंभरी जयंती का दिन है।

शाकंभरी देवी…
प्रकृति से जुड़ी देवी है,
फल-फूल, शाक-सबिज्यां, जल
इनकी कृपा से ही मिलते है।

शाकंभरी देवी…
मातृ स्वरूपा देवी है,
पालन-पोषण करती है,
अन्नपूर्णा देवी है।

हमें प्राप्त होने वाले अन्न के प्रति
कृतज्ञता महसूस करें।
प्रकृति की देवी शाकंभरी के प्रति
कृतज्ञता महसूस करें।

पौष पूर्णिमा का दिन है,
शाकंभरी जयंती का दिन है।