लोग चाहे कितने भीझूठे-मूठे शब्दों सेअपनापन जताते हो,पर आंखें कभी झूठ नहीं बोलती है,आंखों में नीयत नज़र आ ही जाती है।
लोग चाहे कितने भीझूठे-मूठे शब्दों सेअपनापन जताते हो,पर आंखें कभी झूठ नहीं बोलती है,आंखों में नीयत नज़र आ ही जाती है।
एक ही रास्ते पर चलते-चलते,हमसफ़र बन गए।जीवन सफर में चलते-चलते,हमनवा बन गए। -हरिणा