संस्कृत सुभाषित अर्थ सहित (1)

सुखार्थिन: कुतोविधा नास्ति विधार्थीन: सुखम।

सुखार्थी वा त्यजेद विधां विधार्थी वा त्यजेद सुखम्:।।

अर्थात

सुख पाने वाले को विधा नही मिल सकती है वैसे ही विधा पाने वाले को सुख नही मिल सकता इसलिए सुख चाहने वाले को विधा का और विधा चाहने वाले को सुख का त्याग कर देना चाहिए।

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