तराजू (SCALES) – Reblog

जीवन के तराजू में खुशी और गम, दोनो का पलड़ा, कोई एक तरफ ही नही जूकेगा, संतुलन बना ही रहेगा। आप पर खुशीयों की बारिश हो रही हो,तो भी अपने पैर जमी पर ही रखना। आप पर गम की बारिश हो रही हो,तो भी अपने दिल को तूटने मत देना। जीवन का सही मायने में... Continue Reading →

उलझनों से स्पष्टता की तरफ़!

जीवन जीने के लिए विचारों में स्पष्टता बहुत आवश्यक है, हमें विचारों में स्पष्टता के साथ जीना चाहिए, मन की भ्रमित स्थिति, उलझनों के साथ, शंका के साथ नहीं जीना चाहिए बल्कि उसके समाधान की तरफ ध्यान देना चाहिए। उलझनें तो स्वाभाविक है, यह जीवन का हिस्सा है लेकिन इसे दूर करने का प्रयास ही... Continue Reading →

प्रेम (Reblog)

प्रेम अगर दवा है तो मर्ज भी है। प्रेम अगर सुकून है तो बैचेनी भी है। प्रेम अगर खुशी है तो दर्द भी है। प्रेम अगर मजा है तो सजा भी है। प्रेम अगर अमृत है तो विष भी है। प्रेम हमारे जीवन में कई रूप लेकर आता है, न जाने किसको, किस रूप में... Continue Reading →

तराजू (Scales)

जीवन के तराजू में खुशी और गम, दोनो का पलड़ा, कोई एक तरफ ही नही जूकेगा, संतुलन बना ही रहेगा। आप पर खुशीयों की बारिश हो रही हो,तो भी अपने पैर जमी पर ही रखना। आप पर गम की बारिश हो रही हो,तो भी अपने दिल को तूटने मत देना। जीवन का सही मायने में... Continue Reading →

नशा

नशा ही नशाहर तरफ…..हम तो नशे में,जूम रहे है।नशा…..अपने जुनून को पाने का।नशा…..अपने मनपसंद क्षेत्र (व्य्वसाय) को पाने का।नशा…..अपने हिसाब से जिंदगी जीने का।नशा…..अपने शौक पूरे करने का।नशा…..अपने जीवन में नया रंग भरने का।नशा…..अपने आप को नया बनाने का।

Suggestion v/s emotionally harassment

If you offer an opinion or a suggestion to someone, but you are not open for rejection means you are trying to impose your suggestion to that person that means you are being narrow-minded, you are lacking broadness that every person has different angles or parameters to carry out activity or having different circumstances and... Continue Reading →

चिंता का पहाड

चिंता के विषय पर संस्कृत सुभाषित: चिता चिंता समानाडस्ति बिंदुमात्र विशेषत:।सजीवं दहते चिंता निर्जीवं दहते चिता।।अर्थात्चिता और चिंता समान कही गयी है पर उसमें सिर्फ एक बिंदु का फर्क है, चिता तो मरे हुए इंसान को (निर्जीव) जलाती है पर चिंता जीवित इंसान को ही जलाती है। कबीर दोहा:(१)चिंता से चतुराई घटे,दुःख से घटे शरीर।लोभ... Continue Reading →

दुर्गा माता के नव स्वरूप (नौवा स्वरूप)

दुर्गा माता का यह स्वरूप हमे सिद्धियां देने वाला स्वरूप है। इसलिए यह नाम सिद्धीदात्री कहलाता है। दुर्गा माता हमे हमारी मेहनत का फल देते है और हमारी मनोकामनाएं पूर्ण करते है। भक्ति की शक्ति का स्वरूप है, असंभव कार्य को भी संभव बना देने वाला स्वरूप है। सिद्धीदात्री रूप हमें हमारी प्रतिभा को निखारने... Continue Reading →

दुर्गा माता के नव स्वरूप (आठवां स्वरूप)

दुर्गा माता का यह स्वरूप अंत्यंत गौर है, इतने गौर जैसे की शंख या चंद्र इसलिए इस स्वरूप को महागौरी कहा गया है। दुर्गा माता का यह रूप हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए ज्ञान प्रदान करता है। एसी परिस्थितियां आती है जब हमें पूरा बदलाव लाना पड़ता है। सोच को बदलने की... Continue Reading →

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