स्त्री

एक स्त्री,खुशी का धागा लेकर,अपनी मुस्कान का मोती पिरोती है।मुस्कान का मोती लेकर,अपनी चुलबुलाहट पिरोती है। एक स्त्री,आत्मविश्वास का धागा लेकर,अपनी इच्छाओं के मोती पिरोती है।अपनी इच्छाओं का मोती लेकर,अपनों का प्यार और अपनापन पिरोती है। एक स्त्री,ताकत है उसकी, खुद पर विश्वास।यही ताकत से, वो खुद संभलती है,और परिवार को संभालती है।यही है, स्त्री... Continue Reading →

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