पतंजलि प्रार्थनायोगेन चित्तस्य पदेन वाचांमलं शरीरस्य च वैद्यकेन ।योऽपाकरोत्तमं प्रवरं मुनीनां पतञ्जलिं प्राञ्जलिरानतोऽस्मि ॥ हिंदी में अनुवाद:मन की चित्त वृत्तियों को को योग से, वाणी को व्याकरण से और शरीर की अशुद्धियों को आयुर्वेद द्वारा शुद्ध करने वाले मुनियों में सर्वश्रेष्ठ महर्षि पतंजलि को में दोनों हाथ जोड़कर नमन करता हूँ।इस श्लोक को योगाभ्यास के शुरू में गाया जाता है।'योग' शब्द संस्कृत से लिया गया है... Continue Reading →