
भक्ति का उद्देश्य कामना पूर्ति नहीं है पर कामनाओं का नाश है।
कामना पूरी हो तो हम यह करेंगे यह तो व्यापार हो गया, जैसे कि कोई service का charge दे रहे है।
भक्ति का मूल उद्देश्य जीवन में शिवत्व की प्राप्ति है, जीव का शिव से मिलन है, आध्यात्मिक प्रगति तभी होती है, जब इस मानसिकता को अपनाकर कार्य शुरू करते हैं।

भक्ति कोई कार्य नहीं है, पर जीवन जीने का तरीक़ा है।