भक्ति रस पर कुछ पंक्तियां

हे कान्हा,तेरी भक्ति में ओतप्रोत हो गई हूं। एसा मन होता हैकि मेरे नयनों से,तेरे मनमोहक रूप को निहारती रहूं। एसा मन होता हैकि मेरे कानों से,तेरी बांसुरी की धुन सुनती रहूं। एसा मन होता हैकि मेरी वाणी से,तेरी लीला के बारे में बोलती रहूं। हे मुरलीधर, बस यही प्रार्थना हैकि तेरी भक्ति करने से,... Continue Reading →

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