पापा की लाडली- बेटी

आज मेरे पापा के जन्मदिन के मौके पर मैं यह कविता मेरे पापा को समर्पित करती हूं।

एक रिश्ता है, बड़ा ही प्यारा
पिता-पुत्री का रिश्ता है न्यारा।

मेरे पापा सब से न्यारे है,
मेरे पापा सब से प्यारे है।

बेटी के लिए पूरी दुनिया होते है उसके पापा,
पापा के लिए राजकुमारी होती है उनकी बेटी।

बेटी पर प्रेम का झरना बरसाते है पापा,
बेटी पर देखभाल का झरना बरसाते है पापा।

पापा बेटी के जीवन का प्रकाश होते है,
मेरे पापा भी अंधेरे में हौसला देते है।

कोमल दिल है, मेरे पापा का,
निश्छल मन है, मेरे पापा का।

हंसते-हंसाते है मेरे पापा,
खिलखिलाते है मेरे पापा।

हर पल मेरे आगे बढ़ने की कामना करते है मेरे पापा,
हर पल मेरे जीवन के लिए मंगल कामना करते है मेरे पापा।

पापा के कलेजे का टुकड़ा होती है बेटी,
पापा की लाडली होती है बेटी।

बेटी के चेहरे की मुस्कान होते है पापा,
बेटी के चेहरे की रौनक होते है पापा।

12 thoughts on “पापा की लाडली- बेटी

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    1. Hii Anupama.. so sorry for late reply.. actually your msg was in spam.. I just saw today..

      Papa vese to sabke acche hi hote he.. pehle muje bhi ye yakin nai tha.. kyoki me ese parivar se hu jaha ek dusre se ladai jyada hoti thi..
      Par bad me dhire dhire alag nazariye se dekhna shuru kiya tab ye anubhav hua muje..

      Aur mene ye poem likh di.. jo bhi me anubhav karti hu.. bus vahi likhti hu..😊

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