आज मेरी माँ के जन्मदिन के मौके पर मैं यह कविता मेरी माँ को समर्पित करती हूं।
क्या कहूं मैं, कैसी है मेरी माँ?
सब से निराली है, मेरी माँ।
चेहरे पर हंसी, दिल में परोपकार का भाव
स्वभाव एसा कि हमेशा लोगों को ठंडक दे।
मेरी माँ निर्मल मन की मूरत है,
मेरी माँ निश्छल मन की मूरत है।
मुझ से ही उसकी पूरी दुनिया है,
मुझ से ही उसकी सारी खुशियां है।
शांत मिज़ाज की भी झलक मिलती है,
पर मेरे साथ बातूनी मिज़ाज भी रखती है।
ठहराव और गंभीर भी रहती है,
पर मेरे साथ शरारतें भी करती है।
मेरे लिए ममता से ओतप्रोत होकर,
रसोई भी पकाती है।
मेरे साथ प्यार से ओतप्रोत होकर,
घुमने भी आती है।
हर पल मेरे लिए आशीर्वाद बरसाती है,
हर पल मेरे लिए प्यार लुटाती है।
क्या कहूं मैं, कैसी है मेरी माँ?
सब से निराली है, मेरी माँ।
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