🌼प्रभात प्रार्थना (1)🌼

हे परमेश्वर 🙏

आप से बस यही प्रार्थना है,

हमारे भीतर, कुरूपी अज्ञान से
हम मुरझा गये हैं।

आप की कृपा से,
हमारे भीतर, ज्ञान रूपी,
सुंदर पुष्प खिल उठे।

आपकी कृपा से,
हम सत्कर्म और भक्ति से,
ज्ञान की महक फैलाते रहें।


यह एक विचार, आंतरिक शक्ति का महत्त्व दर्शाता है,

भीतर हैं हमारे प्राण, भीतर है हमारा केंद्र, भीतर हैं हमारी जड़ें। जो उन जड़ों को भूल जाता है और पत्तों की फिकर करता है उसका वृक्ष आज नहीं, कल सूख जाएगा।
-ओशो

6 thoughts on “🌼प्रभात प्रार्थना (1)🌼

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    1. सचमुच…एसा पुष्प हर दिल में खिल जाए, तो प्रेम की महक आती रहें और नफरत मुरझा जाए।

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