कुछ इस कदर, आप से नज़रें मिली
कि हम शर्म से पानी-पानी हो गये,
हम आप में ही खो गये।
आप की नज़रों का जादू
जो चला हम पर
कि हम सवरने लगे।
दबे अरमां जगने लगे,
सपने सजाने लगे,
सारे दर्द मिटने लगे।
कुछ इस कदर, आप से नज़रें मिली
कि हम, हम ना रहे,
हम आप में ही खो गये।
क्या बात👌
धन्यवाद 😊
बहुत बढ़िया दोस्त
बहुत ही खूबसूरत रचना।👌👌
खूब खूब धन्यवाद सराहना के लिए।😊😊🙏
स्वागत आपका।
nice one
खूब खूब आभार ☺️