एक परिंदा हूँ,
जीवन गगन में, आज़ाद हूँ।
पहले पिंजरे में केद थी,
अपनी खुशियों के लिए,
दूसरों पर आश्रित थी।
पहले पिंजरे में केद थी,
अपने जीवन के विकास के लिए,
दूसरों पर आश्रित थी।
अब खुद पर एतबार है,
खुद के दम पर, मेहनत करके,
जीवन को उमंग से जीना है।
एक परिंदा हूँ,
जीवन गगन में, आज़ाद हूँ।
इस जीवन की चादर में
सांसों के ताने बाने हैं
दुख की थोड़ी सी सलवट है
सुख के कुछ फूल सुहाने हैं
क्यों सोचे आगे क्या होगा
अब कल के कौन ठिकाने हैं
ऊपर बैठा वो बाजीगर
जाने क्या मन में ठाने है
चाहे जितना भी जतन करे
भरने का दामन तारों से
झोली में वो ही आएँगे
जो तेरे नाम के दाने है।🌹
वाह! क्या खूब पंक्तियां लिखी आपने!💐
😄😄😄😄👌👌👌
😀
🙏😌🙏
🙂👍
Very beautiful
Thank you very much dear 😊
Beautiful lines and beautiful voice.
Thank you so much dear😊🌻🌼
Welcome baddy 😊
वाह। बेहतरीन रचना।👌👌
खूब खूब आभार ☺️🙏
Waah! Beautiful lines dear❤
Thank you so much 😊
Very Motivational❣
Thank you so much 😊😊
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