हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ
(आदि शंकराचार्य द्बारा रचित- संस्कृत भाषा में)
वीताखिल-विषयेच्छं जातानंदाश्र पुलकमत्यच्छम्।
सीतापति दूताधं वातात्मजमध भावये हधम्।।१।।
तरुणारूण मुख-कमलं करुणा-रसपूर पूरितापांगम्।
संजीवनमाशासे मंजूल- महिमानमंजना भाग्यम्।।२।।
शंबरवैरि- शरातिगमंबुजदल विपुल लोचनोदारम्।
कंबुगलमनिलदिष्टम् विम्ब- ज्वलितोष्ठमेकमवलंबे।।३।।
दूरिकृत- सीतार्ति प्रकटिकृत रामवैभव स्फूर्ति:।
दारित-दशमुखकीर्ति: पुरतो मम भातु हनुमतो मूर्ति:।।४।।
वानर निकराध्यक्षम् दानव कुलकुमुद रविकर सद्द्क्षम्।
दीन-जनावन-दीक्षं पवनतप: पाकपुंजमद्वाक्षम्।।५।।
एतत्पवनसुतस्य स्त्रोतं य: पठति पंचरत्नाख्यं।
चिरमिह-निखिलान् भोगान् भूंकत्वा श्रीरामभक्तिभाग्भवति।।६।।
(स्तोत्र का हिन्दी भाषा में भाषांतर)
श्रीराम के प्रेम में जिनकी सारी इच्छाएं नाश हो चूकी है, जिनके नेत्रों में आनंद के अश्रु है और शरीर में रोमांच हो रहा है, जो सीता पति श्रीराम के मुख्य दूत है, मेरे हृदय को प्रिय लगने वाले अत्यंत पवित्र पवनपुत्र श्री हनुमानजी का मै ध्यान कर रही हू।
जिनका मुख उगते सूरज जैसा लाल है, जिनके नेत्र करूणा रस से भरे हुए है, वो अंजना माता के पुत्र मनोहर महिमावान और जीवन दान देने वाले हनुमानजी मेरी सब आशा पूरी करेंगे।
जिन्होंने…
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आपको भी हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ।🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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😊🙏🙏
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