तुम बदल गये हो

पहले जब हम से ख़ता हो जाती थी,
चाहे कैसी भी ख़ता हो,
तुम नज़रअंदाज़ कर देते थे,
कभी भी हम से दूर ना हुए।

पर आज जब हम से ख़ता हो जाती है,
चाहे छोटी सी भी क्यों ना हो,
तुम हम से दूर जाने के बहानें ढूंढने लगे हो,
तुम दूरियां बढ़ाने लगे हो।

पहले तो तुम्हारी नज़रों में,
हम बेकसूर ही होते थे,
पर अब हर बार,
हम ख़तावार ही होते है।

एसा कहकर तुम मेरे पास आये थे
कि तुम्हारी निर्दोषता पर घायल हुआ हूं,
और अब एसा कहकर दूर हो रहे हो
कि तुम्हारे दोषों से तंग आ गया हूं।

बदलते हुए मौसम की तरह,
तुम बदल गये हो।
बदलते हुए हवा के रुख़ की तरह,
तुम्हारे इश्क का रुख़ बदल गया है।

5 thoughts on “तुम बदल गये हो

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  1. अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे
    तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे

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