भक्ति रस पर कुछ पंक्तियां

हे कान्हा,
तेरी भक्ति में ओतप्रोत हो गई हूं।

एसा मन होता है
कि मेरे नयनों से,
तेरे मनमोहक रूप को निहारती रहूं।

एसा मन होता है
कि मेरे कानों से,
तेरी बांसुरी की धुन सुनती रहूं।

एसा मन होता है
कि मेरी वाणी से,
तेरी लीला के बारे में बोलती रहूं।

हे मुरलीधर, बस यही प्रार्थना है
कि तेरी भक्ति करने से, सद्गुणों का विकास होता रहे
और सद्गुणों से जीवन महक जाए।

हे गिरधारी, बस यही प्रार्थना है
कि तेरी भक्ति करने से, ज्ञानरूपी प्रसाद मिलता रहे
और ज्ञान से जीवन सार्थक हो जाए।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।

आप सभी को, राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏

11 thoughts on “भक्ति रस पर कुछ पंक्तियां

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  1. वाह हरिना जी !! क्या लिखा है आपने. भक्ति के बिना जीवन अधूरा है. कृष्ण नाम जब तें श्रवण सुन्यो री आली भूली भवन हों तो बावरी भई री.

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